Wealth Tax: आईएमएफ की गीता गोपीनाथ वेल्थ टैक्स पर क्या सोचती हैं? कैपिटल इनकम टैक्स की करती हैं वकालत
Gita Gopinath: आईएमएफ की अधिकारी गीता गोपीनाथ ने शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी. उन्होंने रोजगार और टैक्स समेत कई मसलों पर अपनी राय रखी है.
Gita Gopinath: अमीरों पर वेल्थ टैक्स लगाने की मांग पिछले कुछ सालों से लगातार तेज होती जा रही है. कई बार यह डिमांड कई दौलतमंदों ने भी उठाई है. हालांकि, इसे लेकर अभी तक कोई आम राय नहीं बन पाई है. आईएमएफ (IMF) की गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) इस बारे में थोड़ी सी अलग राय रखती हैं. उनका कहना है कि वेल्थ टैक्स (Wealth Tax) लगाना जटिल काम है. हां, अगर आप कैपिटल इनकम टैक्स (Capital Income Tax) लगा सकते हैं तो बेहतर रहेगा.
शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से की थी मुलाकात
इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (International Monetary Fund) की फर्स्ट डिप्टी डायरेक्टर गीता गोपीनाथ इन दिनों भारत आई हुई हैं. उन्होंने शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से भी मुलाकात की थी. उनका कहना है कि कई लोगों के पास वेल्थ के नाम पर सिर्फ घर होता है. ऐसे में आप उन पर टैक्स नहीं लगा सकते. इसके लिए कैपिटल इनकम टैक्स एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है. आईएमएफ हमेशा से ही एक विकासशील टैक्स सिस्टम का समर्थन करता रहा है.
फिलहाल भारत सरकार लेती है 2 से 12 फीसदी सरचार्ज
भारत में वेल्थ टैक्स लगाने के प्रयास पहले भी किए जा चुके हैं. साल 2015 के बजट में वेल्थ टैक्स को खत्म कर दिया गया था. सरकार का कहना था कि इसे लागू करने में ज्यादा खर्च आ रहा है. इसके बदले में सरकार ने सरचार्ज लगा दिया था. इसके अंतर्गत 1 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोगों और 10 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वाली कंपनियों पर 2 से 12 फीसदी तक सरचार्ज लगाया जाता है. इस साल लोकसभा चुनाव से पहले सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) ने वेल्थ टैक्स या विरासत टैक्स लगाने की वकालत कर इस मुद्दे को फिर से गर्मा दिया था.
ऐसे टैक्स अमीरों को देश छोड़ने पर कर सकते हैं मजबूर
हाल ही में इकोनॉमिस्ट थॉमस पिकेटी (Thomas Piketty) ने एक रिसर्च पेपर के जरिए दावा किया था कि भारत को 10 करोड़ रुपये से ज्यादा नेट वर्थ वालों पर 2 फीसदी वेल्थ टैक्स और 33 फीसदी विरासत टैक्स लगाना चाहिए. इससे देश में असमानता की चुनौती से निपटने में मदद मिलेगी. साथ ही सामाजिक योजनाओं पर खर्च बढ़ाया जा सकेगा. इस टैक्स के दायरे में देश की 0.04 फीसदी आबादी या 3.7 लाख लोग ही आएंगे. हालांकि, कई इकोनॉमिस्ट का दावा है कि ऐसे टैक्स अमीरों को देश छोड़ने पर मजबूर कर सकते हैं. ऐसे लोग दुबई को अपना नया घर बना सकते हैं.
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