Go First Insolvency Process: बंद पड़ी एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First Airline) को अपनी दिवालिया प्रक्रिया (Insolvency Process) पूरी करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने पिछले हफ्ते 60 दिन की मोहलत दे दी थी. यह मोहलत उन्हें चौथी बार मिली थी. एनसीएलटी ने पिछले साल 10 मई को गो फर्स्ट की दिवाला याचिका स्वीकार की थी. इसके साथ ही गो फर्स्ट एयरलाइन को डूबे हुए एक साल से भी ज्यादा वक्त गुजर चुका है. इतना वक्त गुजर जाने के बाद भी भी उसके पास आशा की एक आखिरी किरण स्पाइसजेट के अजय सिंह के अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि एयरलाइन से कहां चूक हो रही है.
कोर्ट के आदेश के चलते गो फर्स्ट एयरलाइन के 54 प्लेन भी खतरे में
गो फर्स्ट एयरलाइन लगातार किसी उपयुक्त खरीदार को खोजने की जद्दोजहद में जुटी हुई है. एयरलाइन और रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (Resolution Professional) को इस बार एनसीएलटी के गुस्से का सामना भी करना पड़ा. एनसीएलटी ने फैसला सुनाते हुआ कहा कि यह एयरलाइन के लिए आखिरी मौका है. गो फर्स्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर डीजीसीए (DGCA) ने एयरलाइन के 54 विमानों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने से स्थिति बदल गई है. अब लीज देने वाले इन विमानों को फिर से हासिल कर सकते हैं.
सिर्फ अजय सिंह और स्काई वन के प्रस्ताव ही एयरलाइन के पास
गो फर्स्ट के अनुसार, ईज माय ट्रिप (EaseMyTrip) के सीईओ निशांत पिट्टी (Nishant Pitti) ने भी एयरलाइन को खरीदने का प्रस्ताव वापस ले लिया है. अब स्पाइसजेट (SpiceJet) के अजय सिंह (Ajay Singh) और शारजाह स्थित स्काई वन एफजेडई (SkyOne FZE) ही एयरलाइन को खरीदने के इच्छुक हैं. स्काई वन एयरक्राफ्ट लीज पर देती है. साथ ही उसने हाल ही में गुजरात की गिफ्ट सिटी में भी एंट्री की है.
प्रैट एंड व्हिटनी के खराब इंजनों के चलते डूबी एयरलाइन
एयरलाइन ने अपने पतन के लिए प्रैट एंड व्हिटनी के खराब इंजनों (Pratt & Whitney Engine) को जिम्मेदार ठहराया है. इसके चलते उसके ज्यादातर A320neo प्लेन उड़ान ही नहीं भर सके. इसके चलते कंपनी को 10,800 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का नुकसान झेलना पड़ा. दिवालिया होने के लिए आवेदन देते समय एयरलाइन का कुल कर्ज 11,463 करोड़ रुपये आंका गया था. गो फर्स्ट की बाजार हिस्सेदारी लगभग 7 से 10 फीसदी थी. इसके डूबने से अन्य एयरलाइंस पर दबाव पड़ा. स्पाइस जेट, इंडिगो (Indigo) और एयर इंडिया (Air India) के किराए तेजी से बढ़ने लगे. इसके चलते सिविल एविएशन मिनिस्टर को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा था.
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