Go First Liquidation: आर्थिक संकट में फंसकर बंद हो चुकी गो फर्स्ट एयरलाइन की वापसी के सभी रास्ते अब पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. एयरलाइन को कर्ज देने वाले बैंकों ने गो फर्स्ट एयरलाइन को समाप्त करने के लिए वोटिंग कर दी है. यह एयरलाइन पिछले साल मई में ही बंद हो गई थी. इसके बाद एयरलाइन ने दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन दिया था. तमाम कोशिशों के बावजूद भी इस एयरलाइन को खरीदने के लिए अच्छे प्रस्ताव नहीं आने के बाद बैंकों ने इसे लिक्विडेशन में डालने का फैसला ले ही लिया है. 


अजय सिंह और निशांत पिट्टी ने पीछे खींच लिए थे हाथ 


इस साल की शुरुआत में गो फर्स्ट एयरलाइन के बिकने की संभावनाएं प्रबल हो गई थीं. शारजाह स्थित स्काई वन (Sky One) के साथ स्पाइसजेट एयरलाइन (SpiceJet) के प्रमोटर अजय सिंह (Ajay Singh) और ईजमायट्रिप (EaseMyTrip) के सीईओ निशांत पिट्टी (Nishant Pitti) ने गो फर्स्ट को खरीदने की इच्छा जताई थी. मगर, कुछ समय बाद निशांत पिट्टी ने इस डील से बाहर जाने का ऐलान करते हुए कहा था कि अब उनकी प्राथमिकताएं बदल गई हैं. इसके बाद अजय सिंह ने भी इस डील से बाहर जाने का फैसला ले लिया था. 


गो फर्स्ट के ऊपर लगभग 6200 करोड़ रुपये का कर्ज


एक प्राइवेट बैंक के अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि गो फर्स्ट को लिक्विडेट करने के लिए लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग हो चुकी है. एयरलाइन के कर्जदाताओं की समिति (COC) ने कंपनी को खत्म करने का फैसला लिया है. एयरलाइन को खरीदने के लिए आई बोलियां उनकी उम्मीद से काफी कम थीं. गो फर्स्ट के ऊपर लगभग 6200 करोड़ रुपये का कर्ज है. इसमें से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) का 1,934 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) का 1,744 करोड़ रुपये और आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) का 75 करोड़ रुपये है.


NCLT के निर्देश पर की जाएगी आगे की कार्रवाई 


उन्होंने कहा कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के निर्देश पर आगे कदम उठाए जाएंगे. इससे पहले एनसीएलटी ने कर्ज में डूबी एयरलाइन की दिवालिया प्रक्रिया को 3 अगस्त तक बढ़ा दिया था. इसने सीओसी और रेजोल्यूशन प्रोफेशनल को इस समय सीमा का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया था. एनसीएलटी पहले ही कई बार उन्हें विस्तार दे चुका था. गो फर्स्ट ने पिछले साल मई में दिवालियापन के लिए आवेदन किया था. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 26 अप्रैल को डीजीसीए (DGCA) को गो फर्स्ट को लीज पर दिए गए विमानों का रजिस्ट्रशन रद्द करने का निर्देश दिया था.


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