Go First Crisis: 3 और 4 मई को उड़ानें रद्द करने के बाद वाडिया ग्रुप की एयरलाइंस गो फर्स्ट ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राईब्युनल के समक्ष वोलंट्री इंसोलवेंसी रिजोल्युशन के लिए आवेदन दाखिल किया है. कंपनी के सीईओ कौशिक खोना ने इस बात की जानकारी दी है. एयरलाइंस ने केंद्र सरकार को भी इस बात की जानकारी दे दी है और जल्द ही डीजीसीए के सामने विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी.  


गो फर्स्ट ने कहा कि  प्रैट एंड व्हिटनी से इंजन आपूर्ति बार-बार बाधित होने से उसके आधे विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं जिससे कंपनी अपने वित्तीय दायित्व पूरा नहीं कर पा रही है. एयरलाइंस के मुताबिक  उसे मजबूरी में एनसीएलटी के पास इंसोलवेंसी रिजोल्युशन के लिए जाना पड़ा है. कंपनी ने इसके लिए इंजन आपूर्तिकर्ता कंपनी पीएंडडब्ल्यू से इंजन नहीं मिल पाने को सबसे बड़ी वजह बताया है. उसने प्रैट एंड व्हिटनी विमान के इंजनों की मरम्मत और कलपुर्जे मुहैया कराने में नाकाम रहने का भी आरोप लगाया है. 


गो फर्स्ट इंडिया लिमिटेड ने कहा, इंजन की समस्या बनी रहने से हमारे करीब 50 फीसदी विमान खड़े हो चुके हैं. इसके अलावा ऑपरेशन लागत दोगुनी होने से भी गो फर्स्ट को 10,800 करोड़ रुपये का राजस्व गंवाना पड़ा है. एयरलाइन ने कहा कि मौजूदा हालात में कंपनी अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा कर पाने की स्थिति में नहीं रह गई है लिहाजा एनसीएलटी के समक्ष अर्जी लगाई गई है. 


गो फर्स्ट ने कहा कि प्रमोटर्स की तरफ से अबतक 6,500 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई है जिसमें से 2,400 करोड़ रुपये पिछले 24 महीनों में लगाए गए हैं. अप्रैल, 2023 में ही प्रमोटर समूह ने 290 करोड़ रुपये एयरलाइन में डालें हैं. इससे पहले गो फर्स्ट ने 3 और 4 मई को उड़ान भरने वाले फ्लाइट्स को रद्द कर दिया है. तेल कंपनियों के बकाये का भुगतान नहीं कर पाने के चलते एयरलाइंस ने ये फैसला किया है. 


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