Go First: गो फर्स्ट एयरलाइंस के मामले में नया मोड़ आ गया है. 15 मई को नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और इसको 22 मई यानी अगले सोमवार को जारी किया जाएगा. जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को इन तीनों कंपनियों की याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. 


जानें क्या है मामला


गो फर्स्ट एयरलाइन को विमान लीज पर देने वाली तीन पट्टेदारों ने गो फर्स्ट की स्वैच्छिक दिवाला समाधान प्रक्रिया के खिलाफ अर्जी दी थी. राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) गो फर्स्ट एयरलाइन को पट्टे पर विमान देने वाली तीन कंपनियों की तरफ से दायर अर्जियों पर 22 मई को अपना आदेश पारित करेगा.


कागजात जमा करने के लिए दिया 48 घंटे का समय


गो फर्स्ट ने वित्तीय संकट का हवाला देते हुए स्वैच्छिक दिवाला समाधान की अर्जी एनसीएलटी में लगाई थी जिसे मंजूर कर लिया गया है. एयरलाइन को पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों ने दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की थी. एनसीएलएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली एक पीठ ने इसके साथ ही कहा कि संबंधित पक्ष अगर कोई अतिरिक्त कागजात रखना चाहें तो 48 घंटों में पेश कर सकते हैं.


पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों की दायर हैं याचिकाएं


पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों- एसएमबीसी एविएशन कैपिटल लिमिटेड, जीवाई एविएशन और एसएफवी एयरक्राफ्ट होल्डिंग्स ने ये याचिकाएं दायर की थीं. उन्होंने कुल मिलाकर गो फर्स्ट को 21 विमान दिए हुए हैं. एनसीएलटी ने पिछले हफ्ते एयरलाइन की अर्जी स्वीकार करते हुए दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी दी थी. इसके साथ ही उसने अंतरिम समाधान पेशेवर की भी नियुक्ति की है.


3 मई से बंद है गो फर्स्ट का विमान परिचालन


गो फर्स्ट का विमान परिचालन तीन मई से ही बंद चल रहा है. दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी लगाने के बाद से कई विमान प्रदाता कंपनियों ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से अपने 45 विमानों की सूचीबद्धता खत्म कर वापस लेने की मांग रखी है.


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