यह बड़ा अजीब ट्रेंड है, जब गोल्ड के दाम ऊंचाई पर हैं गोल्ड म्यूचुअल फंड्स का रिटर्न न सिर्फ कम हो रहा है बल्कि निगेटिव जोन में पहुंच गया है. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक गोल्ड फंड ने पिछले तीन महीनों में -3.25 फीसदी का रिटर्न दिया है. यानी रिटर्न घट कर निगेटिव जोन में चला गया है. एक महीने का रिटर्न -0.42 फीसदी और एक सप्ताह का -2.22 फीसदी पर पहुंच गया है.


गोल्ड के दाम गिरे हैं लेकिन यह अस्थायी गिरावट 


दरअसल कोविड वैक्सीन के मोर्चे पर उम्मीद बढ़ने के साथ ही सोने की कीमतों में तेज गिरावट देखी जा रही है. दो अमेरिकी कंपनियों को मॉडर्ना और फिर फाइजर को कोविड वैक्सीन परीक्षण में मिली अच्छी सफलता की खबरों के बाद बीते एक सप्ताह में एमसीएक्स में गोल्ड की कीमतें 1200 रुपये (प्रति दस ग्राम) तक घट गईं. अगस्त में जब गोल्ड के दाम टॉप पर पहुंच गए थे तो गोल्ड फंड भी अपने रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए थे लेकिन तब से इनमें 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.


विश्लेषकों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी को लेकर उम्मीदों का बढ़ना और कोविड की वैक्सीन के मोर्चे पर अच्छी खबरों के आने के बाद शेयर मार्केट की ओर निवेशकों का रुझान तेजी से बढ़ा है. भारत की बात करें तो सेंसेक्स पिछले तीन दिनों से टॉप पर है. इसमें विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है. एफआईआई ने नवंबर में अब तक का सबसे ज्यादा निवेश किया है. इस वजह से गोल्ड फंड के रिटर्न कम हो रहे हैं.


फिलहाल निगेटिव रिटर्न देख कर फंड से न निकलें 


अब सवाल यह है कि क्या गोल्ड म्यूचुअल फंड के निवेशकों को इसमें बने रहने चाहिए या निकल जाना चाहिए. दरअसल पिछले दो साल में गोल्ड फंड ने 27 फीसदी की सीएजीआर रिटर्न दिया है, जबकि इसकी तुलना में शेयरों का रिटर्न 9.20 फीसदी रहा है. विश्वलेषकों का मानना है कि सोने की कीमतों में गिरावट का यह दौर अस्थायी है. गोल्ड का आउटलुक पॉजिटिव बना हुआ है. आगे इसमें और इजाफा हो सकता है. इसलिए फिलहाल निगेटिव रिटर्न देख कर गोल्ड म्यूचुअल फंड से निकलना अच्छी रणनीति नहीं कहा जा सकता.


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