सोने का आयात 26.7 फीसदी बढ़कर 35.95 अरब डॉलर हुआ, इस देश से भारत आता है सबसे ज्यादा गोल्ड
Gold Import Increased: चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में ही देश का सोने का आयात करीब 36 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया है जो दिखाता है कि भारत में सोने को लेकर प्रेम लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
Gold Import Increased: भारतीय लोगों का सोने को लेकर प्यार जगजाहिर है और इसके चलते सोने के आयात में साल दर साल बढ़त देखी जाती रही है. एक बार फिर ऐसा हुआ है और देश के गोल्ड इंपोर्ट या सोने के आयात में बढ़ोतरी की खबर आई है. भारत का सोने का आयात चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने (अप्रैल-दिसंबर) में 26.7 फीसदी बढ़कर 35.95 अरब डॉलर हो गया है.
गोल्ड इंपोर्ट का देश के चालू खाते के घाटे (कैड) पर असर पड़ता है. एक साल पहले की इसी अवधि में सोने का आयात 28.4 अरब डॉलर पर रहा था. वाणिज्य मंत्रालय (कॉमर्स मिनिस्ट्री) के जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर, 2023 में इस कीमती मेटल का आयात 156.5 फीसदी बढ़कर तीन अरब डॉलर का हो गया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल भी सोने के आयात में बढ़ोतरी का कारण गहनों के लिए मांग का लगातार बेहतर होना था.
किस देश से आता है भारत में सबसे ज्यादा सोना
स्विट्जरलैंड सोने के आयात का सबसे बड़ा स्रोत है, यहां से आयात की हिस्सेदारी लगभग 41 फीसदी है. इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (लगभग 13 फीसदी) और दक्षिण अफ्रीका (लगभग 10 फीसदी) का स्थान है. देश के कुल आयात में इस कीमती मेटल की हिस्सेदारी पांच फीसदी से ज्यादा की है.
सोने का आयात बढ़ा पर देश का व्यापार घाटा कम हुआ
फिलहाल सोने पर 15 फीसदी का आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) लगता है. सोने के आयात में बढ़ोतरी के बावजूद देश का व्यापार घाटा (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) इस वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में अप्रैल-दिसंबर, 2022 के 212.34 अरब डॉलर के मुकाबले घटकर 188.02 अरब डॉलर रह गया.
भारत है दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड कंज्यूमर
भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का कंज्यूमर है. सोने का आयात मुख्य रूप से ज्वैलरी इंडस्ट्री की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है. एक बात जो चौंकाती है वो ये है कि इस अवधि के दौरान जेम्स एंड ज्वैलरी का एक्सपोर्ट 16.16 फीसदी घटकर 24.3 अरब डॉलर रह गया.
मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाते का घाटा कम हुआ
पिछले साल 26 दिसंबर को जारी भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाते का घाटा तेजी से कम होकर जीडीपी का एक फीसदी या 8.3 अरब डॉलर रह गया. इसकी मुख्य वजह व्यापारिक व्यापार घाटा कम होना और सर्विस एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी होना है. चालू खाते का घाटा तब होता है जब किसी देश का इंपोर्टेड वस्तुओं और सेवाओं और अन्य पेमेंट का मूल्य किसी खास अवधि में वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और अन्य प्राप्तियों की कीमत से ज्यादा हो जाता है.
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