Gold Loan Rule Changed: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन देने की प्रणाली में कुछ जरूरी तथ्यों की पहचान की है, जिसके बाद इस सेक्टर में बड़े बदलाव हुए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोन देने वाले (लेंडर्स) अब ट्रेडिशनल बुलेट रीपेमेंट (फिर से भुगतान या पुनर्भुगतान) ऑप्शन (विकल्पों) से EMI और टर्म लोन की ओर रुख कर रहे हैं ताकि रेगुलेटरी विषयों को दूर किया जा सके.


गोल्ड लोन देने में RBI को मिली गड़बड़ी


RBI ने 30 सितंबर को सोने के आभूषणों और आभूषणों के बदले लोन देने में गड़बड़ियों (अनियमितताओं) की जानकारी दी है. इनमें लोन सोर्सिंग, मूल्यांकन प्रक्रियाओं, एंड यूज फंड्स की मॉनिटरिंग, ​​ऑक्शन ट्रांसपेरेंसी और लोन-टू-वैल्यू (LTV) के रेसियो मानदंडों के अनुपालन में गैप होना शामिल थे. 


रिपोर्ट में कहा गया है कि सेंट्रल बैंक ने पार्सियल पेमेंट्स (आंशिक भुगतान) और लोन रोलओवर की चलन की भी आलोचना की है इसके अलावा संभावित गलती की चेतावनी दी. एक सीनियर बैंकिंग अधिकारी ने कहा, RBI के आदेश से स्पष्ट है कि वह चाहता है कि लेंडर्स, उधारकर्ता की रीपेमेंट क्षमताओं की अच्छी तरह से जांच कर लें केवल कॉलेटरल (एसेट) पर डिपेंड न रहे.


वर्तमान में क्या है गोल्ड लोन का मॉडल?


मौजूदा समय में गोल्ड लोन के लिए मुख्य रूप से बुलेट रीपेमेंट मॉडल का पालन करते किया जाता है. यहां पर उधारकर्ता लोन के अंत में पूरा मूलधन और ब्याज का भुगतान करते हैं. वैकल्पिक रूप से अवधि के दौरान पार्शियल पेमेंट को स्वीकार किया जाता है. हालांकि, रिस्क को कम करने के लिए RBI तत्काल EMI-बेस्ड रीपेमेंट विकल्पों पर जोर दे रहा है.


गोल्ड लोन सेक्टर में हाल ही में जबरदस्त तेजी देखी गई है, जो सोने की बढ़ती कीमत और असुरक्षित क्रेडिट तक सीमित पहुंच की वजह से है. क्रिसिल के अनुसार, इस साल अप्रैल और अगस्त के बीच सोने की अपेक्षा बैंक द्वारा जारी किए गए रिटेल लोन में 37 फीसदी की बढ़त हुई . रिपोर्ट के अनुसार, गोल्ड लोन पर केंद्रित NBFC ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में मैनेजमेंट के तहत एसेट्स में 11 फीसदी की वद्धि की है.


TOI के मुताबिक, गेफियन कैपिटल के पार्टनर प्रकाश अग्रवाल ने अलर्ट किया है कि सोने की कीमतों में संभावित सुधार ठीक नहीं है, क्योंकि कोलैटरल वैल्यू गिरने से रिफाइनेंस जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और ऐसा होने पर रीपेमेंट क्षमता पर दबाव पड़ पड़ेगा।


रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 30 सितंबर तक बैंकों द्वारा सोने को गिरवी रखकर दिए गए लोन 1.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गए जिससे इसमें सालाना आधार पर 51 फीसदी की वृद्धि देखी जा रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर RBI नियमों को सख्त करता है तो यह वृद्धि थम सकती है या धीमी पड़ सकती है क्योंकि लेंडर्स अधिक जोखिम से दूर रहने को लेकर सजग रहते हैं.


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