गोल्ड के दाम में लगातार आ रही बढ़ोतरी की वजह से आम कंज्यूमर सोने के गहनों से दूर होते जा रहे हैं. पिछले साल गोल्ड के दाम में 30 फीसदी इजाफा हुआ और इसका असर ज्वैलरी की कीमतों पर साफ दिखी. ज्वैलरी डिमांड घटने से ज्वैलर्स ने डिजिटल गोल्ड कारोबार को बढ़ाने से लेकर बिक्री के नए तरीके भी आजमा रहे हैं. लेकिन ग्लोबल और घरेलू अर्थव्यवस्था में संकट बरकरार रहने की वजह से गोल्ड के दामों में नरमी नहीं आ रही है. यह गोल्ड में निवेशकों के लिए भले ही अच्छा हो लेकिन ज्वैलरी के खरीदारों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है.
ज्वैलरी के घटते डिमांड से जूझ रहे हैं ज्वैलर्स
ज्वैलरी की घटी मांग से परेशान ज्वैलर्स इस समस्या को सुलझाने के लिए नया तरीका आजमा रहे हैं. ज्वैलर्स को लग रहा है कि नए साल में भी गोल्ड के दाम बढ़ेंगे. लिहाजा आम ग्राहक के लिए ज्वैलरी भी महंगी होगी. ऐसे में ज्वैलर्स की ओर से 22 कैरेट की जगह 14 और 18 कैरेट के गोल्ड और डायमंड लगी गोल्ड ज्वैलरी को प्रमोट किया जा रहा है. पिछले साल अगस्त (2020) में गोल्ड 56 हजार रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया था.
टीकाकरण की सफलता पर नजर
विश्लेषकों के एक वर्ग का कहना है कि अगर कोविड-19 का टीकाकरण सही ढंग से नहीं हुआ और ग्लोबल अर्थव्यवस्था की स्थिति ऐसी ही लचर रही तो गोल्ड 65 हजार प्रति दस ग्राम पर भी पहुंच सकता है. चीन और अमेरिका के बीच तनाव का असर भी गोल्ड पर पड़ सकता है. पिछले साल गोल्ड में भारी बढ़ोतरी के बीच दाम में थोड़ी देर के लिए हल्की गिरावट आई थी लेकिन इसके बाद फिर इसने रफ्तार पकड़ ली. कई विश्लेषकों का अनुमान है कि गोल्ड में और रफ्तार आ सकती है और इस साल के मध्य तक इसके दाम में 25 फीसदी का इजाफा हो सकता है.
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