(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Indian Economy: गोल्डमैन सैक्स ने अपने नोट में कहा, पूंजीगत खर्च पर किए जाने निवेश में सरकार आने वाले वर्षों में सकती है कटौती
Goldman Sachs Update: बीते कुछ वर्षों से सरकार की ओर से पूंजीगत खर्चों के बजटीय आवंटन बढ़ा है पर उसे आगे भी जारी रखना कठिन होगा.
Indian Economy: आने वाले वर्षों में बजटीय घाटे को कम करने के लिए भारत सरकार निवेश पर किए जाने वाले खर्च में कटौती कर सकती है. गोल्डमन सैक्स का मानना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अगले दो वर्षों में राजकोषीय घाटे में 1.5 फीसदी प्वाइंट की कमी करने का लक्ष्य लेकर चल रही है ऐसे में पूंजीगत खर्च पर सरकार की ओर से किए जाने वाले खर्च में आई तेजी लंबे समय तक जारी नहीं रह सकती है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक गोल्डमन सैक्स ग्रुप के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज विकास में निवेश को बड़ा योगदान रहा है. 2004 से 2012 के बीच सालाना 7 फीसदी जीडीपी में 3 फीसदी आई तेजी में निवेश का बड़ा योगदान रहा है. गोल्डमन सैक्स के अर्थशास्त्रियों शांतनु सेनगुप्ता, अर्जुन वर्मा और एंड्रयू टिल्टन ने एक नोट में लिखा कि केंद्र की मोदी सरकार अगले दो वर्षों में रोजकोषीय घाटे में 1.5 फीसदी तक की कमी लाना चाहती है. ऐसे में बीते कुछ वर्षों से जिन प्रकार पूंजीगत खर्चों में ग्रोथ देखने को मिला है वो आगे भी जारी रखना कठिन होगा. हालांकि प्राइवेट सेक्टर इस कमी की भरपाई कर सकती है.
नोट के मुताबिक कंपनियां और आम लोगों मिलकर देश में 75 फीसदी तक निवेश करते है लेकिन बीते एक दशक में इसकी रफ्तार कम हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रॉपर्टी मार्केट के ग्रोथ की गति के धीमे पड़ने, सख्त कर्ज नीति और बचत में कमी इसके लिए जिम्मेदार है. हालांकि कैपिटल प्रोजेक्ट्स में सरकारी खर्च के बढ़ने से इसके असर को कम करने में मदद मिली है.
गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों के नोट के मुताबिक निजी सेक्टर के पास निवेश बढ़ाने का अच्छा अवसर है. खासतौर से तब कंपनियां सप्लाईचेन को दुरुस्त करने के लिए चीन के बाहर मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दे रही हैं. पीएम मोदी की मेक इन इंडिया लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा और विस्तार करने के लिए बड़ा अवसर प्रदान कर रही हैं.
भारतीय कंपनियों ने अपने कर्ज को घटाया है और बिजनेस को विस्तार करने के लिए कर्ज उपलब्ध कराने के लिए बैंकों के पास पर्याप्त कैपिटल उपलब्ध है. भारतीय रेग्यूलेटर्स इन दिनों तेजी के साथ कार्य कर रहे हैं और जल्द प्रोजेक्ट के क्लीयरेंस से कॉरपोरेट पूंजीगत खर्च को इससे बढ़ावा देने में बड़ी मदद मिलेगी. कोरोना महामारी के बाद प्राइवेट डिमांड में मजबूती आई है तो क्रेडिट कार्ड खर्च रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचा है तो बैंकों का रिटेल लोन पोर्टफोलियो दोगुना हो चुका है.
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