ओलंपिक में गोल्ड के बाद नीरज चोपड़ा की ब्रांड वैल्यू में उछाल, एड गुरू पीयूष पांडेय बोले- नीरज जैसे ब्रांड्स से न हो स्पॉन्सरशिप की तुलना
ब्रांड स्ट्रेटजिस्ट हरीश बिजूर का मानते है कि नीरज कोई नया चेहरा नहीं है क्योंकि उनके पास पहले से ही तीन से चार विज्ञापन हैं. लेकिन वह भारतीय ब्रांडों के लिए एक अच्छा रिप्ल्समेंट होंगे.
ओलंपिक में 87.58 मीटर जेवलिन थ्रो में 7 अगस्त को गोल्ड मेडल पाकर 23 वर्षीय नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया. विज्ञापन, मार्केटिंग और ब्रांडिंग एक्सपर्ट्स के अनुसार, उनकी ब्रांड वैल्यू और एंडोर्समेंट रेवेन्यू में करीब तीन गुना से अधिक की उछाल देखने को मिल सकता है. ब्रांड स्ट्रेटजिस्ट हरीश बीजूर मानते है कि नीरज कोई नया चेहरा नहीं हैं, क्योंकि उनके पास पहले से ही तीन से चार विज्ञापन हैं. लेकिन वह भारतीय ब्रांडों के लिए एक अच्छा रिप्ल्समेंट होंगे.
नीरज के ब्रांड वैल्यू में 3 गुणा होगा उछाल
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए हरीश बिजूर कंसल्ट्स इंक के ब्रांड-थिंकर, व्यवसायी और प्रमोटर हरीश बिजूर ने बताया- "इस समय उनके पीछे सोने की भीड़ है, जिस क्षमता का वह वादा करते हैं. मैं नीरज के लिए एक जबरदस्त ब्रांड वैल्यू की उम्मीद कर सकता हूं, क्योंकि वह अब एक्स से 3X का प्रीमियम कमा सकते हैं. हर सेगमेंट के ब्रांड, चाहे वह बैंक हो, तेल, बिस्कुट, या जूते वे उन्हें एनडोर्स कर सकते हैं.”
हालांकि, एड-गुरू पीयूष पांडेय का बिल्कुल अलग मानना है. पीयूष पांडे, चीफ क्रिएटिव ऑफिसर वर्ल्डवाइड और एग्जीक्यूटिव चेयरमैन इंडिया, ओगिल्वी ने एबीपी न्यूज को बताया- “नीरज जैसे ब्रांड्स से स्पॉन्सरशिप को नहीं आंकना चाहिए और यही सबसे बड़ी गलती है जो हम करते हैं. हमें यह समझना होगा जो उन्होंने एथलीट के रूप में एक एथलीट या फिर जेवलिन के लिए क्या किया है. नीरज ने तो झंडा गाड़ दिया है और स्पॉन्सरशिप किसी भी तरह आएंगे. चुनौती ब्रांड नीरज नहीं बल्कि चुनौती ब्रांड स्पोर्ट्स, ब्रांड एथलीट है.” अब इस तरह के खेलों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार संगठनों पर जिम्मेदारी है क्योंकि क्रिकेट ने बिना सरकारी समर्थन के खुद को संगठित किया है.
स्थानीय स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने की जरूरत
क्रिकेट की तरह अन्य भारतीय खेलों को बढ़ावा देने के बारे में बोलते हुए पीयूष पांडेय ने कहा- “वर्तमान में स्थानीय स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने की जरूरत है. हमने इंडियन हॉकी लीग, शॉक्कर लीग, कबड्डी लीग शुरू किया है. जब तक आप जमीनी स्तर पर खेलों को लोकप्रिय नहीं बनाएंगे, खिलाड़ियों को तुरत पहचान नहीं मिलेगी. टाटा काफी समय से यह कर रहा है. अब जेएसडब्ल्यू कर रहा है. जेएलडब्ल्यू खेलों के प्रति संकल्पित है और यह बाकी संगठनों के लिए रिमाइंडर्स है. भविष्य अब इस बार पर निर्भर करता है कि टाटा स्पोर्ट्स एकेडमी या फिर जेएलडब्ल्यू स्पोर्ट् एकेडमी किस तरह से एथलीट्स को प्रशिक्षण देने के लिए सुविधा मुहैया कराते हैं.”
ये भी पढ़ें:
Exclusive: देश लौटने पर abp न्यूज़ से बोले नीरज चोपड़ा- अगले ओलंपिक में हम और भी मेडल जीतकर लाएंगे
भावुक पल: जब नीरज चोपड़ा ने माता-पिता को पहनाया अपना गोल्ड मेडल