आजकल क्रेडिट स्कोर का पर काफी जोर दिया जा रहा है. कई साइट्स फ्री में क्रेडिट स्कोर जानने का ऑफर दे रही हैं. अच्छा क्रेडिट स्कोर आपको जल्दी और आसानी से लोन दिलाने में मदद करता है. लेकिन क्या अच्छा स्कोर ही आपको लोन दिलाने का एक मात्र गारंटी है. कई बार यह देखने में आता है कि 700 से ज्यादा क्रेडिट स्कोर वालों को भी लोन नहीं मिलता है. इसकी कई वजह हो सकती हैं.  क्रेडिट स्कोर यह बताता है कि लोन के लिए अप्लाई करने वाले अपने पिछले लोन किस तरह अदा किए हैं. लेकिन बगैर किसी ब्रेक के लोन चुकाने के बावजूद किसी को नया लोन में मिलने में दिक्कत आ सकती है. आखिर इसकी वजह क्या हो सकती है.


क्या है डेट टु इनकम रेश्यो 


दरअसल, यह देखा जाता है कि आप जिस नए लोन के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं, उसे चुकाने की आपकी क्षमताएं क्या हैं. मान लीजिये आपने होम लोन के लिए अप्लाई किया और आपका एक पर्सनल लोन और एजुकेशन लोन भी चल रहा है तो बैंक आपको नया लोन देने से पहले आपकी इनकम और लोन के अनुपात का आकलन करेगा.इसे डेट टु इनकम रेश्यो यानी DTI कहते हैं.


डेट टु इनकम रेश्यो का कैलकुलेशन
डेट टु इनकम रेश्यो के कैलकुलेशन के लिए लोन एप्लीकेंट के टोटल मासिक इनकम को उस पर टोटल लोन देनदारी से भाग दिया जाता है. यह लोन देनदारी क्रेडिट कार्ड पेमेंट, वाहन लोन, स्टूडेंट लोन आदि हो सकता है. डेट टु इनकम रेश्यो की गणना मासिक आधार पर होती है. डेट टु रेश्यो से बैंक देने वाला बैंक यह पता करता है कि पिछला लोन जारी रहने के बावजूद अन्य लोन लेने पर आपमें इन्हें चुकाने की कितनी क्षमता है. कम डेट टु रेश्यो का मतलब यह है कि आपके लोन और इनकम में अच्छा संतुलन है. बढ़िया डेट टु इनकम रेश्यो ही आपको अतिरिक्त लोन दिलाता है.