नई दिल्ली: किसी भी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी की सैलेरी से उसका पीएफ और ग्रेच्युटी के लिए भी रकम इकट्ठा की जाती है.  ग्रेच्युटी की रकम काफी महत्वपूर्ण होती है. अब कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ग्रेच्युटी के नियम में बदलाव करने जा रही है. ग्रेच्युटी के नियम को बदलने के लिए केंद्र सरकार संशोधित बिल इसी साल शीतकालीन शत्र में संसद में लेकर आएगी.


क्या होगा बदलाव


अभी तक ग्रेच्युटी के नियम के मुताबिक इस रकम के लिए किसी भी कर्मचारी का कंपनी में पांच साल तक काम करना जरूरी है, लेकिन अब मोदी सरकार इस समय अवधि को घटाने जा रही है. संशोधित बिल में इसे एक साल किया जा सकता है. अगर सरकार यह फैसला लेती है और बिल पास हो जाता है तो यह निश्चित तौर पर नौकरीपेशा वर्ग के लिए बड़ा तोहफा होगा. अगर यह बिल पास हो जाता है तो सबसे ज्यादा फायदा प्राइवेट नौकरी करने वालों को मिलेगा. वह अगर एक साल बाद भी कंपनी को छोड़ देते हैं तो भी उन्हें ग्रेच्युटी की रकम मिलेगी.


ग्रेच्युटी की रकम से क्या मतलब है
ग्रेच्युटी को आसान शब्दों में समझे तो यह कंपनी के द्वारा आपकी सेवा के लिए दिया गया अतिरिक्त लाभ है. यह फिलहाल तभी मिलता है जब कोई इम्पलॉई किसी एक कंपनी में पांच साल तक काम करता है. इसके अलावा कुछ अन्य स्थिति में भी ग्रेच्युटी दी जाती है जैसे अगर किसी इम्पलॉई की मौत हो जाए.


ग्रेच्युटी के तौर पर कितनी रकम मिलती है?
ग्रेच्युटी में एक इम्पलॉई को कितनी रकम मिलेगी इसका फैसला दो बातों पर निर्भर करता है. पहला यह कि उसका वेतन कितना है और दूसरा यह कि उसकी कंपनी के लिए सेवा की अवधि कितनी रही है.


कैसे होती है ग्रेच्युटी की कैल्कुलेशन
ग्रेच्युटी का कैल्क्युलेशन एक साधारण नियम के तहत किया जाता है. जिस कर्मचारी को ग्रेच्युटी कानून के तहत कवर किया जाता है तो उसके 15 दिनों के वेतन को जितने साल का टेन्योर उसने दफ्तर में निकाला है उससे गुणा करके गेच्युटी की गणना की जाती है. अंतिम बेसिक सैलरी में महंगाई भत्ता भी शामिल है.


ग्रेच्युटी फार्मूला इस प्रकार है
(15Xअंतिम बेसिक सैलरीXकामकाज के साल) भाग 26


जानें अपनी ग्रेच्युटी
यानी अगर आपकी बेसिक सैलरी 25000 रुपए है और आप कंपनी में 10 साल बाद नौकरी छोड़ते हैं, तो आपको मिलने वाली ग्रच्युटी होगी (15X25000X10)/ 26 = 1 लाख 45 हजार 230 रुपए