Air Fare: सिविल एविएशन मिनिस्टर राम मोहन नायडू ने हाल ही में राज्यसभा में हवाई यात्रा के किरायों पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आमतौर पर सरकार हवाई यात्रा के किराए रेगुलट नहीं करती. जब ज़रूरी होता है, खास तौर पर जब जब हवाई यात्रियों की भीड़ ज़्यादा होती है तब सरकार बढ़ते किरायों के मामले में हस्तक्षेप करती है, ताकि किराए मनमाने ढंग से न बढ़ाए जा सकें. अभी तक ये नियम है कि एयरलाईंस यात्रा के 24 घंटे पहले तक किराए बढ़ा या घटा सकती हैं, लेकिन मंत्रालय अब इस नियम को हटाने जा रही है. इसके हटने से यात्रा के कुछ घंटे पहले भी अगर टिकट लिया जाता है तो उसका दाम वही रहेगा जो यात्रा समय से 24 घंटे पहले था. इस क्लॉज़ के हटने से हवाई किरायों की अनियमितता को दूर किया जा सकेगा. 


अफोर्डिबिलिटी फैक्टर पर सरकार की नजर


सिविल एविएशन मिनिस्टर राममोहन नायडू ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि मंत्रालय इस बात पर नजर रखता है कि हवाई किराए यात्रियों की आसान पहुंच से बाहर न जाने पाएं. नायडू ने सदन को बताया कि 2023 की तुलना में 2024 में हवाई यात्रा सस्ती हुई है और त्योहारों के मौसम में भी अपेक्षाकृत हवाई टिकट के दाम घटे हैं. 


एयरलाइंस के पास है किराया तय करने का अधिकार 


आपको बता दें कि हवाई यात्रा के टिकटों के दाम तय करने का अधिकार एयरलाइंस को ही दिया गया है ताकि वो अपनी आपरेशनल जरूरतों के हिसाब से टिकटों के दाम तय कर सकें. मसलन किसी रूट पर यात्री कम हों और आपरेशनल कॉस्ट ज्यादा हो तो एयरलाइंस किराया बढ़ा कर अपना घाटा बचा सकती है. 


फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू है 


हवाई यात्रा में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम भी लागू है जिसके अनुसार डिमांड के अनुसार एयरलाइंस किराए बढ़ा सकती है. यात्रा का समय जैसे जैसे नज़दीकी आता जाता है किराए बढ़ते जाते हैं. सरकार ने कोई कैप नहीं लगा रखा है लेकिन एयरलाइंस को ये हिदायत ज़रूर है कि वो टिकट के दाम बहुत अधिक न बढ़ाएं और मंत्रालय इस पर नजर भी रखता है. 


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