आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस अभी दुनिया की तमाम दिग्गज कंपनियों के फोकस में है. गूगल से लेकर एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक तक टेक जगत की सारी बड़ी कंपनियां एआई की रेस में शामिल हैं. दूसरी ओर चैटजीपीटी बनाने वाली ओपनएआई जैसी नई कंपनी इस रेस में दिग्गजों से आगे निकली हुई है. गूगल के एक्स-सीईओ ने एआई की रेस में टेक दिग्गज के पिछड़ने का कारण बताया है.


रिमोर्ट वर्क पर फोकस से पड़ रहा असर


गूगल के पूर्व सीईओ Eric Schmidt का मानना है कि एआई की रेस में पिछड़ने के लिए गूगल का वर्क फ्रॉम होम (रिमोट वर्क) कल्चर जिम्मेदार है. उन्होंने गूगल की रिमोट वर्क पॉलिसीज की आलोचना करते हुए कहा कि कंपनी रिमोट वर्क और वर्क-लाइफ बैलेंस पर ज्यादा जोर दे रही है, जिसके चलते उसका परफॉर्मेंस प्रभावित हो रहा है.


इस कारण आगे निकल रहीं नई कंपनियां


एरिक स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक बातचीत में हिस्सा ले रहे थे. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, बातचीत के दौरान एरिक ने एआई की रेस में गूगल के पिछड़ने का कारण रिमोर्ट वर्क और वर्क लाइफ बैलेंस पर ज्यादा ध्यान देना बताया. रिपोर्ट में एरिक के हवाले से कहा गया है कि फ्लेक्सिबल वर्क अरेंजमेंट पर गूगल के द्वारा फोकस करने से वह एआई डेवलपमेंट में ओपनएआई और एंथ्रोपिक जैसी स्टार्टअप कंपनियों से पीछे रह गई है.


10 साल तक रहे हैं गूगल के सीईओ


एरिक श्मिट 2001 से 2011 के दौरान गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रहे थे. उन्होंने कहा कि एक ओर जहां नई कंपनियों के कर्मचारी समर्पित होकर काम कर रहे हैं और मुकाबले में आगे रहने के लिए जी-जान से मेहनत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गूगल जैसी कंपनियां रिलैक्स्ड वर्क के माहौल पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं, जिसका इनोवेशन की क्षमताओं पर प्रतिकूल असर हो रहा है.


आगे बने रहने के लिए जी-तोड़ काम जरूरी


गूगल के पूर्व सीईओ ऑफिस में काम करने की संस्कृति के पुराने पक्षधर रहे हैं और वे पहले भी वर्क फ्रॉम होम या रिमोट वर्क जैसे कल्चर की आलोचना कर रहे हैं. उनका मानना है कि रिमोट या फ्लेक्सिबल वर्क कल्चर से प्रतिस्पर्धी बने रहने की क्षमता प्रभावित होती है. बकौल एरिक श्मिट, तेज से बदलती टेक इंडस्ट्री में आगे बने रहने के लिए जी-तोड़ मेहनत करने वाली संस्कृति जरूरी है.


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