IIT Kharagpur: गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री ली है. इसके बाद वह पढ़ने के लिए अमेरिका गए और फिर गूगल में नौकरी करने लगे. अपनी काबिलियत के दम पर धीरे-धीरे वह गूगल के सर्वोच्च पद पर पहुंच गए. इस दौरान वह अपने मां-बाप का एक ख्बाव पूरा करने का समय नहीं निकाल पाए. मगर, अब वह सपना भी पूरा हो गया है. आईआईटी खड़गपुर ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया है. इसके साथ ही वह अब डॉक्टर सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) बन गए हैं. उनकी पत्नी अंजली पिचाई (Anjali Pichai) को भी आईआईटी से सम्मान दिया गया है. 


सुंदर पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर को दिया धन्यवाद


सुंदर पिचाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर इसकी जानकारी दी है. उन्होंने इस सम्मान के लिए आईआईटी खड़गपुर को धन्यवाद दिया है. मानद डिग्री उस व्यक्ति को दी जाती है, जिसने शिक्षा या समाज के हित में उल्लेखनीय काम किया हो. सुंदर पिचाई ने लिखा कि मेरे मां-बाप हमेशा से चाहते थे कि मैं डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करूं. अब पिछले हफ्ते मैंने इसे भी हासिल कर लिया है. मुझे लगता है मानद डिग्री से भी मेरे मां-बाप संतुष्ट हो जाएंगे.


गूगल सीईओ को मिली डॉक्टरेट की मानद डिग्री 


गूगल के सीईओ ने लिखा कि आईआईटी ने मुझे गूगल तक का रास्ता दिखाया. साथ ही इस संस्थान ने हमेशा ही लोगों तक टेक्नोलॉजी की आसान पहुंच बनाने की दिशा में काम किया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उत्थान में भी आईआईटी ने अहम भूमिका निभाई है. मैं आजीवन इस संस्थान का आभारी रहूंगा. मैं और मेरी पत्नी अंजली के दिलों में इस संस्थान का अलग ही स्थान है. उन्होंने मानद डिग्री हासिल करते हुए अपने फोटो भी इंस्टाग्राम पर डाले. उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री दी गई है. उनकी पत्नी अंजली पिचई को प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार दिया गया है. इन दोनों को यह सम्मान सेन फ्रांसिस्को में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिए गए. 


इंस्टाग्राम पोस्ट पर डॉक्टर बनने की बधाई दे रहे यूजर्स 


सुंदर पिचई की इस पोस्ट पर कई यूजर्स के कमेंट आए हैं. एक ने लिखा कि अगर कोई एक बार आईआईटी पहुंच जाए तो वो हमेशा वहीं का होकर रह जाता है. सुंदर पिचाई कोई व्यक्ति नहीं, जादू है. एक यूजर ने उन्हें महान व्यक्ति बताते हुए डॉक्टर बन जाने की बधाई दी है. आईआईटी खड़गपुर के 69वें कंवोकेशन में पिछले साल दिसंबर में उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह सम्मान दिया था. मगर, वह कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे इसलिए अब जाकर उन्हें डिग्री सौंपी गई है.


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