नोटबंदी से 1 दिन पहले आरबीआई से नोट बंद करने पर मांगी थी सलाह
नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ने माना है कि नोटबंदी के ठीक एक दिन पहले सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट की कानूनी वैधता खत्म करने के बारे में उसे विचार करने को कहा था. केंद्रीय बैंक के इस रुख का जिक्र संसद की लोक लेखा समिति यानी पीएसी के सामने पेश किए दस्तावेज में किया गया है. हालांकि सरकार अभी तक कहती रही है कि रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की संस्तुति के आधार पर ही कैबिनेट ने नोटबंदी के प्रस्ताव पर मुहर लगायी.
नोटबंदी को लेकर रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं. ताजा मामला रिजर्व बैंक की ओर से संसद की लोक लेखा समिति के सामने पेश किए गए बैंकग्राउंड नोट्स से जुड़ा है. इस नोट में केंद्रीय बैंक ने साफ किया कि
- सरकार ने 7 नवम्बर 2016 को सलाह भेजा कि जाली नोट, आतंक के लिए वित्त पोषण और काले धन की समस्या से निबटने के लिए रिजर्व बैंक का केंद्रीय बोर्ड 500 और 1000 रुपये के नोट की कानूनी वैधता खत्म करने के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है.
- चूंकि नगद में किए लेन-देन अपने पीछे किसी तरह का निशान नहीं छोड़ता, ऐसे में नगद से काले धन को बढ़ावा मिलता है
- काले धन के खात्मे से छलावे की अर्थव्यवस्था के असर को खत्म किया जा सकेगा और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा.
- दूसरी ओर पड़ोसी देश में जाली नोटो की छपाई देश की सुरक्षा और एकता के लिए बड़ा खतरा है.
नोट के मुताबिक, रिजर्व बैंक के बोर्ड ने महसूस किया कि पुराने नोट वापस लेने के प्रस्ताव लाए जाने के लिए इससे बेहतर कोई और समय नहीं हो सकता है जब महात्मा गांधी सीरिज के तहत नए नोट शुरु किए जा रहे हैं. ऐसे में बिना किसी देरी के पुराने नोट वापस लिए जा सकते है. साथ ही नकल रोकने वाले उपायों के साथ नए डिजाइन वाले नोट बाजार में लाए जा सकते हैं. रिजर्व बैंक ने ये तो माना कि सरकार के प्रस्ताव पर अमल से तुरंत ही पुराने नोट के ठीक बराबर नए नोट लाना संभव नहीं होगा. फिर भी चूंकि 2000 रुपये के नोट रिजर्व बैंक के दफ्तर पहुंचने और वहां से करेंसी चेस्ट भेजे जाने का काम शुरु हो चुका था, लिहाजा एक निश्चित स्तर पर नोट की मांग से निबटना संभव हो पाएगा. ये भी बात कही गयी है कि डिजिटल माध्यमों से लेन-देन बढ़ने की उम्मीद है जिससे नकदी की कम जरुरत पड़ेगी. यही नहीं 500 और 1000 रुपये को छोड़ बाकी कीमत के नोट रिजर्व बैंक और करेंसी चेस्ट में उपलब्ध है जो नगदी की मांग को पूरा करने में मदद करेगी. नोट्स में कहा गया कि रिजर्व बैंक और विभिन्न करेंसी चेस्ट में
- 8 नवम्बर को, 50 रुपये के कुल 11037 करोड़ रुपये, 100 रुपये के कुल 86579 करोड़ रुपये और 2000 रुपये के कुल 94660 करोड़ रुपये के नोट उपलब्ध थे. जबकि 500 रुपये के एक भी नए नोट नहीं थे.
- वहीं 8 दिसम्बर को 7977 करोड़ रुपये के 500 रुपये के नए नोट उपलब्ध थे जबकि 2000 रुपये के मामले में ये आंकड़ा 82516 करोड़ रुपये था.
नोट में ये भी कहा गया कि जो पुराने नोट वापस नहीं आएंगे, वो तब भी रिजर्व बैंक के बैलेंश शीट में जवाबदेही यानी लाइबिलिटी वाले कॉलम में दिखाए जाएंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो नोटबंदी से रिजर्व बैंक के बैलेंश शीट पर कोई असर नहीं पड़ेगा. दूसरी ओर सरकार के उच्च पदस्थ सूत्र कई मौकों पर कहते रहे हैं कि जो नोट वापस नहीं आएंगे, उतनी कीमत के नोट सरकारी खजाने में आ सकते हैं. बस इसके लिए रिजर्व बैंक कानून में फेरबदल करने की जरुरत होगी और ये कर लिया जाएगा.
- नोट में इस बात का भी जिक्र है कि नोटबंदी के बाद से लेकर एक महीने के बीच किस-किस कीमत के कितने नोट प्रेस से मिले. इनमें खास तौर पर 2000 रुपये के 2.83 लाख करोड़ रुपये के नोट मिले
- जबकि 500 रुपये के 15,150 करोड़ रुपये.
- 10 से लेकर 2000 रुपये तक की कीमत के सभी नोटों को ले ले तो कुल मिलाकर 3.08 लाख करोड़ रुपये के नए नोट प्रेस से सप्लाई की गयी.
- वहीं कुल मिलाकर 4.14 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में लाए गए.
रिजर्व बैंक ने ये भी साफ किया है कि 2014 में उसने सरकार के सामने 5000 और 10 हजार के नए नोट लाने का सुझाव रखा. लेकिन इससे हटकर मई 2016 में सरकार ने 2000 रुपये के नोट लाने के बारे में सैद्धांतिक रुप में मंजूरी दी. फिर रिजर्व बैंक की सिफारिशों के आधार पर जून में सरकार ने नए डिजाइन, आकार, रंग और थीम के साथ 2000 रुपये के नए नोट लाने को हरी झंडी दिखा दी. इसी महीने रिजर्व बैंक ने तमाम प्रेस से नए नोट की छपाई शुरु करने की सलाह दी. अब ये तय नहीं कि नए नोट की छपाई उसी समय शुरु हुई या फिर सितम्बर में जब रघुराम राजन की जगह उर्जित पटेल ने गवर्नर का कार्यभार संभाला.