GOLD Import Data: सोने के रिकॉर्ड इंपोर्ट के चलते नवंबर महीने में भारत का व्यापार घाटा रिकॉर्ड हाई पर जा पहुंचा है. इसके चलते डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्ड गिरावट आ गई और इसका असर शेयर बाजार की चाल पर भी नजर आ रहा है. लेकिन ट्रेड डेटा में जो रिकॉर्ड गोल्ड इंपोर्ट दिखाया गया है उसे अब सरकार कैलकुलेशन एरर यानि आंकड़ों की गणना करने में खामी बता रही है. वैसे भी त्योहारी सीजन के बिना इतने अधिक सोने का आयात समझ से परे है. इसके लिए डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कॉमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टेटिसटिक्स(DGCI) केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड और सीमा शुल्क बोर्ड के अधिकारियों के साथ आंकड़ों का मिलान करने का फैसला लिया है.
आंकड़ों की धोखाधड़ी या बाजीगरी
सोने की आयात में चौंकाने वाले उछाल के बाद ऑल टाइम हाई पर चले जाने वाले व्यापार घाटे में उछाल के आंकड़े असहज कर देने वाले हैं. DGCI की जांच में यह जानने की कोशिश की जाएगी कि सोने के आयात के आंकड़ों को जानने का तरीका बदलने के कारण यह कहीं वास्तविकता के दोगुना पर तो नहीं चला गया है. भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को इसके पीछे आंकड़ों की गड़बड़ी की भी आशंका है. ज्ञात हो कि नवंबर महीने में भारत का व्यापार घाटा यानी आयात का निर्यात से अधिक होना आजाद भारत के इतिहास के सबसे ऊंचे स्तर 37.84 पर चला गया. इसके पीछे सोने के रिकॉर्ड 14.8 अरब डॉलर के आयात का कारण बताया जा रहा है. इस कारण विपक्ष के नेता सरकार की आर्थिक नीतियों को दोष दे रहे हैं. व्यापार घाटा बढ़ने, उत्पादन कमजोर होने और महंगाई बढ़ने के लिए इसी को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं.
आम लोगों के लिए व्यापार घाटे का क्या है मतलब
आंकड़ों की बाजीगरी से इतर व्यापार घाटे का मतलब आम जनता के लिए यह है कि देश अपनी जनता की जरूरतों के लिए पर्याप्त मात्रा में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन नहीं कर पा रहा है. इसलिए दूसरे देशों से इसकी भरपाई करनी पड़ रही हैं. इससे देश में महंगाई बढेगी. आयात के लिए विदेशी मुद्रा की झोली खोलनी होगी. इससे विदेशी मुद्रा भंडार कम होगा, इसकी भरपाई के लिए डॉलर जुटाने होंगे और रुपया कमजोर होगा. जिन सेक्टर में अधिक आयात हो रहा है, उन क्षेत्रों की भारतीय कंपनियां कमजोर पड़ेंगी और वहां रोजगार का संकट पैदा हो सकता है.
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