(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
महिलाओं को ज्यादा नौकरियां, मेटरनिटी लीव और वर्किंग वुमेन हॉस्टल की सिफारिश, मिलेंगे कई सारे लाभ
Government Advisory: महिलाओं के लिए काम करने की परिस्थितियां आसान बनाने के लिए सरकार ने कई तरह की सलाह जारी की हैं. इसके अलावा विभिन्न मंत्रालयों को एक साथ काम करने को भी कहा है.
Government Advisory: देश आर्थिक तरक्की के रास्ते पर प्रगति कर रहा है. इस तरक्की की सबसे बड़ी चुनौती महिलाओं की रोजगार में कम हिस्सेदारी है. ग्लोबल एजेंसियां भी इसे भारतीय इकोनॉमी के लिए बड़ी चुनौती मानती हैं. इस समस्या की ओर गंभीरता से ध्यान देते हुए केंद्र सरकार ने मंगलवार को कई सलाह जारी की हैं. इससे महिलाओं को रोजगार देने के क्षेत्र में अधिक कुशलता से काम किया जा सकेगा. आइए एक नजर इन बदलावों पर डाल लेते हैं.
मैनेजमेंट एवं लीडरशिप रोल में महिलाओं को ज्यादा अवसर दें
सरकार ने जेंडर न्यूट्रल भर्ती विज्ञापन, कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल की व्यवस्था, क्रेच ब्रेक, मैनेजमेंट एवं लीडरशिप रोल में महिलाओं को ज्यादा अवसर, हाईवे एवं कंस्ट्रक्शन काम में लगी महिलाओं को सारे मेटरनिटी लीव (मातृत्व लाभ) उपलब्ध कराने की सलाह दी है. कंपनियों को अपनी खरीद प्रक्रिया की समीक्षा करने के लिए भी कहा गया है. साथ ही महिलाओं द्वारा संचालित कारोबार को बढ़ावा देने, पुरुषों के बराबर वेतन और वेतन के अंतर को कम करने के लिए लगातार ऑडिट करने का निर्देश भी दिया गया है. इसके अलावा केंद्रीय विश्वविद्यालयों को वर्किंग वूमेन हॉस्टल बनाने को कहा गया है. इसके लिए 7 प्रस्ताव आ चुके हैं. सरकार इन हॉस्टल को बनाने में मदद देगी.
महिलाओं को समान अवसर दिलाने के लिए कई मंत्रालय आए साथ
महिलाओं की नौकरियों से दूरी का सबसे बड़ा कारण बच्चों की देखभाल और घरेलू जिम्मेदारियां हैं. सरकार इस दिशा में सुधार करने को तत्पर है. इसके लिए कानून भी बनाए गए लेकिन, उनका पालन जमीनी स्तर पर पूरी तरह से नहीं हो रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय से हाथ मिलाया है. सभी मंत्रालयों के सहयोग से इन कानूनों का पालन सुनिश्चित करवाया जाएगा.
मेटरनिटी लीव और क्रेच को आवश्यक करने पर दिया जाए जोर
महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था हो जाने के बाद अब सरकार का जोर नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने पर है. इसके लिए हाईवे एवं कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम कर रही महिलाओं को 26 हफ्ते की मेटरनिटी लीव और 50 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी में क्रेच बनाने जैसे कानूनों पर ज्यादा जोर लगाया गया है. महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) और श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) ने क्रेच के लिए मिनिमम प्रोटोकॉल भी जारी किए हैं.
हाईवे एवं कंस्ट्रक्शन सेक्टर में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ानी होगी
स्मृति ईरानी ने कहा कि मेटरनिटी लीव और हाईवे एवं कंस्ट्रक्शन सेक्टर में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ानी होगी. लेबर मिनिस्ट्री ने रात में घर ड्रॉप करने की सुविधा भी लागू करने को कहा है. भूपेंद्र यादव ने कहा कि कंपनियों को महिला कर्मचारियों के प्रति अधिक जिम्मेदार बनना होगा. अभी संसद से पास चार श्रम कानून लागू होने बाकी हैं. मगर, इन नियमों के तहत उनके कुछ हिस्से लागू करने का प्रयास किया गया है. इसके अलावा श्रम मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कंपनियों की रेटिंग करने के अलावा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से इनपुट भी मांगे हैं.
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