नई दिल्ली: कृषि प्रधान देश में किसानों को उनकी फसल का वाजिब मूल्य दिलाना हर सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर किसानों की आय बढ़ाने पर है इसके लिए वे और उनकी सरकार ने किसानों को खरीफ फसलों का न्यूनतन समर्थन मूल्य यानि एमएसपी को डेढ़ गुना प्रदान कर खेतीबाड़ी से जुड़े किसानों को बड़ा उपहार भी दिया था. देश में एमएसपी को लेकर समय समय पर चर्चा और बहस होती रहती है. आज हम बताएंगे की आखिर एमएसपी क्या होती है और इसका क्या अर्थ होता है.



सबसे पहले जान लें की न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी वह मूल्य है, जिस पर सरकार किसानों से उनकी उपज खरीदती है. इसके बाद सवाल आता है कि वह लागत मूल्य क्या है जिसे डेढ़ गुना बढ़ाने की बात होती है. फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करते समय कृषि लागत और कीमतों से संबंधित आयोग 'कृषि लागत और मूल्य आयोग' यानि सीएसीपी कई प्रकार के फार्मूले पर विचार करता है जिसमें तीन प्रमुख हैं.


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पहला कॉस्ट एटू इसका अर्थ होता है कि वह सभी खर्च जो किसान अपनी जेब से करता है. इसमें बीज से लेकर खाद आदि, मजदूर, मशीनरी और लीज पर ली गई जमीन का खर्च भी शामिल होता है. दूसरा कॉस्ट A2 + FL- खेती में किसानों के परिवार भी काफी मेहनत करते हैं और इस फॉर्म्युले में उनका मेहनताना भी जोड़ा जाता है. इसे अनपेड फैमिली लेबर यानि एफएल कहा जाता है. तीसरा कॉम्प्रिहेन्सिव कॉस्ट यानी लागत की गणना करने का सबसे व्यापक फॉर्म्युला है. इसमें फैमिली लेबर, जमीन का किराया और खेती के काम में लगाई गई पूंजी पर ब्याज को भी शामिल किया जाता है.


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