नई दिल्ली: विदेश या देश के भीतर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए नौकरशाहों को 5 साल के ऐसे कार्यकाल के बाद प्रतिनियुक्ति भत्ता नहीं मिलेगा. यानी ऐसे सरकारी ऑफिसर जो अपने ट्रांसफर के बाद आवश्यक सालों के पूरा होने के बावजूद उसी कार्यस्थल पर जमे रहते हैं. खासतौर पर ऐसा वो ऑफिसर करते हैं जिनकी तैनाती या ट्रांसफर विदेश में होता है और वो वहां का तयशुदा वर्क टेन्योर पूरा होने के बावजूद वापस नहीं आते.


कार्मिक मंत्रालय ने अधिकारियों को चेतावनी देने के लिए पहले ही दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. उन्हें कहा गया है कि विदेशी तैनाती पर तय समय से अधिक रहने पर उन्हें अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है.


नियमों के अनुसार, अपने राज्य कैडर से बाहर या विदेश में अधिकारियों की केंद्रीय तैनाती के लिए सामान्यत अधिकतम 7 साल यानी 5+2 साल का प्रावधान है. कार्मिक मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी आदेश में कहा गया कि यदि नियुक्त अधिकारी आर्थिक लाभ लेने का विकल्प चुनता है तो प्रतिनियुक्ति भत्ते की मंजूरी 5वें साल तक के लिए होगी.


अधिकारियों ने कहा कि यह फैसला अधिकारियों द्वारा केंद्रीय तैनाती की अवधि से अधिक समय तक रूकने पर रोक लगाने के लिए लिया गया है. इनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा समेत अन्य सेवाएं शामिल हैं.


उन्होंने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि सरकार ने कुछ ऐसे मामलों पर गौर किया है, जिनमें संबंधित मंत्रालयों द्वारा ‘अनिवार्यताओं’ का हवाला देते हुए अधिकारियों की केंद्रीय तैनाती का कार्यकाल अधिकतम 7 साल की अवधि से भी ज्यादा बढ़ा दिया गया था. ऐसा खासतौर पर तब हुआ, जब वे विदेशों में कार्यरत थे.


एक ही स्टेशन की सीमा के भीतर तैनाती होने पर भत्ता मूल वेतन के 5 फीसदी, अधिकतम 2000 रुपये प्रति माह के हिसाब से होगा. अन्य मामलों में भत्ता मूल वेतन का 10 फीसदी और अधिकतम 4000 रुपये हर महीने होगा.