नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वो क्रिप्टो करेंसी, क्रिप्टो असेट की खरीद-बिक्री में ऑपरेटर की भूमिका की जांच कर रही है. क्रिप्टो करेंसी या क्रिप्टो असेट को आम बोलचाल की भाषा में बिटकॉइन के नाम से जाना जाता है. भले ही इसके नाम में करेंसी या कॉइन जुड़ा हो, लेकिन दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक मसलन, भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे जारी नहीं किया है.
लोकसभा में एक लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन ने जानकारी दी, "सरकार क्रिप्टो करेंसी/क्रिप्टो परिसंपत्तियों का लेन-देन करने वाले संचालकों की भूमिका का अध्यययन कर रही है." वैसे अभी इस बात का कोई अनुमान नहीं कि देश में ऐसे कितने ऑपरेटर हैं, लेकिन खबरों के मुताबिक, महज 10 एक्सचेंज की आमदनी करीब 40 हजार करोड़ रुपये हैं. ये एक्सचेंज 20 फीसदी तक की मार्जिन पर काम करते हैं.
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, "सरकार क्रिप्टो करेंसी लीगल टेंडर या कॉइन पर विचार नहीं करती है और अवैध गतिविधियों को धन उपलब्ध कराने और भुगतान प्रणाली के एक भाग के रुप में इन क्रिप्टो परिसंपत्तियों के प्रयोग के समाप्त करने के लिए सभी प्रकार का कदम उठाएगी." इसके बाद वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने जानकारी दी कि बिटकॉइन को लेकर सरकार जल्द ही कायदे कानून जारी कर सकती है. इस बारे में गठित एक समिति की रिपोर्ट आने के बाद सरकार जरुरी कदम उठाएगी.
सरकार कई मौकों पर साफ कर चुकी है कि बिटकॉइन या क्रिप्टो करेंसी को वैध नहीं मानती. इस बारे में समय-समय पर लोगों को आगाह भी किया गया. दूसरी ओर रिजर्व बैंक ने 24 दिंसबर,2013 पहली फरवरी 2017 और फिर पांच फरवरी 2017 को लोगों को आगाह किया. लेकिन परेशानी ये है कि इस करेंसी को भले ही वैध नहीं माने जाने की सूरत में कार्रवाई को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है. इसी वजह से देश में अभी भी लोग बिटकॉइन की खरीद-बेच कर रहे हैं.
बिटकॉइन समेत वर्चुअल करेंसी एक तरह की आभासी मुद्रा है. भले ही इसके नाम में करेंसी शब्द जुड़ा हुआ हो, लेकिन इसे ना तो रिजर्व बैंक जारी करता है और ना ही किसी और देश का केंद्रीय बैंक. इस तरह की मुद्रा को क्रिप्टो करेंसी के नाम से भी पुकारा जाता है. हाल के दिन में इसकी कीमतों में खासा उतार-चढ़ाव देखने को मिला. आज के दिन में एक बिटकॉइन की कीमत पांच लाख रुपये के करीब है जबकि महीने भर पहले ये 10 लाख रुपये के करीब थी.
वित्त मंत्रालय पहले भी बिटकॉइन समेत तमाम वर्चुअल करेंसी के खतरे के प्रति लोगों को आगाह कर चुका है. साथ ही इसे एक तरह का पोंजी स्कीम भी माना है जिसमें भारी मुनाफे के लालच में लोग पैसा लगाते हैं, लेकिन बाद में मूल के भी लाले पड़ जाते है.
वित्त मंत्रालय का कहना है कि ना तो सरकार औऱ ना ही रिजर्व बैंक ने वर्चुअल करेंसी को लेन-देन के माध्यम के रुप में किसी तरह की मान्यता दे रखी है. इसके प्रति सरकार का कोई 'फिएट' (रुपया-पैसा फिएट करेंसी है, यानी सरकार ने उसे कानूनी तौर पर लेन-देन के माध्यम के रुप में मान्यता दे रखी है) भी नही है. वर्चुअल करेंसी ना तो कागजी नोट के रुप में नजर आता है और ना ही धातु के सिक्के के तौर पर. लिहाजा वर्चुअल करेंसी ना तो नोट है और ना ही सिक्का. सरकार या किसी भी नियामक ने किसी भी एजेंसी, संस्था, कंपनी या बाजार मध्यस्थ को बिटकॉइन जारी करने का लाइसेंस दे रखा है. मंत्रालय का साफ तौर पर कहना है कि जो लोग भी इसमें पैसा लगा रहे हैं, वो अपने जोखिम पर ही ऐसा कर रहे हैं.
मंत्रालय का ये भी कहना है कि वर्चुअल करेंसी की कोई निहित कीमत नहीं है और ना ही उसके पीछे कोई संपत्ति होती है. ऐसे में कीमतों में उतार-चढ़ाव पूरी तरह से सट्टेबाजी है. इस आभासी मुद्रा में वास्तविक जोखिम है और जिस तरह से लोग पोंजी स्कीम में पैसा गंवाते है, वैसी ही स्थिति यहां भी हो सकती है. ऐसी मुद्रा इलेक्ट्रॉनिक रुप में रखी जाती है. ऐसे में हैंकिंग, पासवर्ड भूलने और मैलवेयर के हमले जैसे खतरा हमेशा बना रहता है. अगर ऐसा कुछ भी हुआ तो पैसा पूरी तरह से डूब जाएगा. मंत्रालय को ये भी आशंका है कि ऐसी मुद्रा का इस्तेमाल आंतकी गतिविधियों के लिए पैसा मुहैया कराने, तस्करी, मादक दवाओं का व्यापार और गैरकानूनी तरीके से एक जगह से दूसरी जगह पैसा भेजने में किया जा सकता है.