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Fake Beneficiaries: कल्याणाकरी योजनाओं के फर्जी लाभार्थियों की पहचान के लिए सरकार चला रही बड़ा अभियान, 18,000 करोड़ रु की होगी बचत

PM Kisan Nidhi Yojana: वित्त वर्ष 2021-22 में 10.4 करोड़ किसानों को पीएम किसान योजना का लाभ दिया गया जिसकी संख्या अब घटकर 8 करोड़ रह गई है. फर्जी लाभार्थियों के नाम हटाये गए हैं.

Fake Beneficiaries Verification Drive: अलग-अलग सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले फर्जी लाभर्थियों की पहचान कर उनका नाम हटाने को लेकर सरकार बड़ा अभियान चला रही है. इस अभियान के जरिए सरकार को उम्मीद है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में 18,000 करोड़ रुपये की बचत कर सकेगी. राज्यों के साथ मिलकर केंद्र सरकार अपनी कल्याणाकारी योजनाओं के लाभार्थियों का वेरिफिकेशन ड्राइव चला रही है. इसी ड्राइव के दौरान फर्जी लाभार्थियों का नाम ब्लॉक करने के साथ कार्रवाई भी की गई है. 

केंद्र सरकार किसानों को सस्ता खाद उपलब्ध कराने के लिए लाभार्थियों को फर्टिलाइजर सब्सिडी प्रदान करती है. इसके अलावा पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत छोटे किसानों को सालाना 6,000 रुपये की रकम तीन किस्तों में दिया जाता है. मनरेगा (MGNREGA) के तहत ग्रामीण इलाकों में बेरोजगार मजदूरों को 100 दिनों का गारंटीड रोजगार देने का प्रावधान है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर फेक लाभार्थियों की पहचान करने के लिए वेरिफिकेशन अभियान चला रही है. इस वेरिफिकेशन ड्राइव में बड़ी संख्या में कल्याणकारी योजना का लाभ लेने वाले फर्जीऔर डुप्लीकेट लाभार्थियों का पता लगाया गया है जिसके बाद उनके नामों को ब्लॉक किया गया है. 

प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत सबसे ज्यादा फर्जी लाभार्थियों के नामों को डेटाबेस से हटाया गया है.  कृषि कल्याण मंत्रालय ने पिछले दिनों संसद में बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में 10.4 करोड़ किसानों को पीएम किसान योजना का लाभ दिया गया था. जिसकी संख्या 2022-23 में 23 फीसदी घटकर 8 करोड़ पर आ चुकी है. 2021-22 में सरकार ने पीएम किसान के तहत 67,031 करोड़ रुपये किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर किए थे. जो घटकर 2022-23 में 57,646 करोड़ रुपये पर आ गई है. सरकार ने लोकसभा में फरवरी 2023 में ये जानकारी दी थी. यानि दो वर्षों में करीब 2.40 करोड़ लोगों को डेटाबेस से बाहर किया जा चुका है जिन्होंने गलत जानकारी देकर योजना का लाभ उठाया था. इस वर्ष पीएम किसान के फर्जी लाभार्थियों के नामों को डेटाबेस से हटाकर सरकार को 9,000 करोड़ रुपये की बचत होगी. 2023-24 में सरकार ने योजना के तहत 60,000 करोड़ रुपये देने का लक्ष्य रखा है.

सब्सिडी वाले खाद की कालाबाजारी और इंडस्ट्ररियल इस्तेमाल के लिए डायवर्जन रोकने के लिए सरकार ने फर्टिलाइजर दस्ता बनाया है. इस टीम ने 80,000 एग्रोकमिकल्स बैग सीज किया है और 30 एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की है. केंद्र सरकार 266 रुपये में 45 किलो का यूरिया बैग उपलब्ध कराती है जिसपर सरकार को 2500 रुपये प्रति बैग सब्सिडी का भार उठाना पड़ता है. सरकार ने 2023-24 में 1.75 लाख करोड़ रुपये फर्टिलाइजर सब्सिडी का लक्ष्य रखा है हालांकि इसमें भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. 

मनरेगा के तहत 33 लाख फर्जी जॉब कार्ड के डेटा को डिलिट किया गया है जो गलत तरीके से योजना का लाभ उठा रहे थे. इससे सरकार को 4,000 करोड़ रुपये की बचत का अनुमान है. सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये मनरेगा के लिए बजट प्रावधान किया है. 

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इन तीन योजनाओं में फर्जी लाभार्थियों की पहचान करने के लिए सरकार अभियान चला रही है. वहीं सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को सरकार भ्रष्टाचार रोकने के लिए डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के तहत सीधे उनके बैंक खातें में पैसे ट्रांसफर करती है. सरकार के मुताबिक 2017-18 से लेकर 2021-22 तक सरकार ने डीबीटी को जरिए डुप्लीकेट और फेक लाभार्थियों की पहचान कर 2.16 लाख करोड़ रुपये की बचत करने में सफलता हासिल की है.   

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