नई दिल्ली: सरकार ने आज गेहूं और तुअर-अरहर दाल पर तत्काल प्रभाव से 10 फीसदी की इंपोर्ट ड्यूटी लगाई है ताकि इस साल रिकार्ड उत्पादन होने की संभावना के मद्देनजर किसानों के हितों को सुरक्षित रखा जा सके. सरकार ने पिछले साल 8 दिसंबर को गेहूं पर सीमा शुल्क 10 फीसदी से घटाकर जीरो कर दिया था. ऐसा घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और रिटेल कीमतों पर लगाम रखने के मकसद से किया गया था. तुअर दाल पर कोई इंपोर्ट ड्यूटी नहीं था.
वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि 17 मार्च, 2012 की सरकार के एक नोटिफिकेशन में संशोधन किया गया है ताकि गेहूं और तुअर पर 10 फीसदी का ‘बेसिक सीमा शुल्क तत्काल प्रभाव से लागू हो.’ उन्होंने कहा कि इस फैसले से मौजूदा आयात के स्तर पर करीब 840 करोड़ रुपये का राजस्व प्रभाव होने का अनुमान है. इस कदम से गेहूं और तुअर के थोक मूल्य में कमी लाने में मदद मिलेगी और अच्छे उत्पादन की उम्मीद कर रहे किसानों को भी अच्छा समर्थन मूल्य मिलेगा.
सरकार के दूसरे आकलन के अनुसार 2016-17 फसल उत्पादन वर्ष जुलाई 2016 से जून 2017 तक में अच्छे मानसून की वजह से गेहूं का उत्पादन रिकार्ड करीब 9.7 करोड़ टन होने का अनुमान है. इससे पिछले वर्ष यह 9.23 करोड़ टन था. मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में गेहूं की नयी फसल मंडियों में पहुंचने लगी है.
इसी तरह तुअर दाल का उत्पादन 42.3 लाख टन होने का अनुमान है जो इससे पिछले साल में 25.6 लाख टन रहा था. तुअर दाल की फसल खरीफ के मौसम में उगाई जाती है. गौरतलब है कि तुअर दाल का थोक मूल्य अधिक उत्पादन की वजह से कम हो गया है और कुछ स्थानों पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है.