नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जेपी इंफ्राटेक के घर खऱीदने वाले हजारों लोगों के लिए अच्छी खबर. केंद्र सरकार इस विकल्प को खंगाल रही है कि क्या उसकी संपत्ति को बेचकर जुटाए पैसे से परियोजनाएं पूरी की जा सकती है या नहीं.


जेपी इंफ्राटेक की अकेले नोएडा स्थित विशटाउन प्रोजेक्ट में 32 हजार लोगों ने घर खरीदने के लिए पैसा लगा रखा है जिसमें से पांच हजार से कुछ ज्यादा लोगों को घऱ मिला चुका है जबकि बाकी को इंतजार है. अब परेशानी ये है कि ये कंपनी दिवालियेपन की कगार पर है और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी ने दिवालिया समाधान प्रक्रिया शुरु करने के आदेश दे दिए हैं. इस प्रक्रिया को पूरा होने मे ज्यादा से ज्यादा नौ महीने का वक्त लग सकता है. एनसीएलटी के फैसले के बाद घर खरीदारों में अनिश्चितता का माहौल है. ध्यान रहे कि खरीदारों के लिए घर हासिल करने में चार साल तक की देरी पहले ही हो चुकी है.


बहरहाल, केंद्र सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, जेपी इंफ्राटेक के घर खरीदारों को राहत दिलाने की संभावनाएं खंगाली जा रही हैं. इसी के तहत एक रास्ता कंपनी के लेंड बैंक जैसी संपत्तियो को बेच कर पैसा जुटाने का हो सकता है. इस पैसे का इस्तेमाल लंबित परियोजनाओं को पूरी करने में होगा. इसके अलावा सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि क्या परियोजनाओं को पूरी करने के लिए एक रिसीवर या सरकारी एजेंसी नियुक्त की जाए. “कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के साथ इस बात पर चर्चा की जाएगी कि क्या दिवालियापन कानून (Insolvency and Bankruptcy Code or IBC) के तहत दूसरी संपत्तियों को बेच अटकी परियोजनाओं के लिए पैसे का इंतजाम हो सकता है या नहीं,” उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा.


दावा ठोकने का समय
शनिवार को विज्ञापन जारी कर कंपनी की विभिन्न आवासीय परियोजनाओं में पैसा लगाने वालों के साथ-साथ बैंकों और कर्मचारियों को 24 अगस्त तक दावा ठोकने का समय दिया गया. दावों के लिए विभिन्न पक्षों के लिए अलग-अलग फॉर्म है. मसलन घर खरीदने वालों को फॉर्म बी भरना होगा, जबकि बैकों और वित्तीय संस्थाओं को फॉर्म सी और कर्मचारियों को फॉर्म डी भरना है.


क्या है पूरा मामला
आईडीबीआईबैंक की याचिका पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी ने जेपी समूह की अग्रणी कंपनी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही शुरु करने का निर्देश दिया है. दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रोफेशनल की नियुक्ति की गयी है जबकि कंपनी के निदेशक बोर्ड को निलंबित कर दिया गया है.ये प्रोफेशनल, कंपनी प्रबंधन और बैंकों के साथ मिलकर कंपनी की वित्तीय स्थिति सुधारने और कर्ज चुकाने का रास्ता ढ़ुंढ़ने की कोशिश करेगा जिसमें शुरुआती तौर पर छह महीने का समय मिलेगा जिसे बाद में तीन महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है. इसके बाद भी अगर कंपनी की माली हालत नही सुधरी और कर्ज चुकाने का रास्ता नहीं निकला तो बैंक उसकी संपत्ति बेचने का काम शुरु कर सकते है.


ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच के आदेश के मुताबिक, 526.11 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है. चूंकि ये एक लाख रुपये से कहीं ज्यादा है. इसीलिए आईडीबीआई बैंक ने बेंच के सामने दिवालियापन कानून के तहत कार्यवाही शुरु करने का प्रस्ताव किया पहले जेपी समूह ने इस प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति जतायी थी, लेकिन 4 अगस्त को उसने अपनी आपत्ति वापस ले ली आपत्ति वापस लेने के पीछे कंपनी ने साफ किया कि वो तमाम बैंकों और उसकी परियोजनाओं में घर खरीदने वालों के हितों को देखते हुए ही उसने ये कदम उठाया. इसी के बाद इलाहाबाद बेंच ने अपना फैसला सुना दिया.


फैसला 9 अगस्त से प्रभावी माना जाएगा अब अगर इसमें ज्यादा से ज्यादा नौ महीने का समय जोड़ दे तो अप्रैल तक वित्तीय स्थिति सुधारने का समय है जिसके बाद संपत्तियो की नीलमी शुरु हो सकती है.


जेपी इंफ्राटेक के घर खरीदारों को दावा ठोकने के लिए 24 अगस्त तक का समय

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