गोल्ड खास तौर पर सरकार गोल्ड बॉन्ड में निवेश पसंद करने वाले निवेशकों को बड़ा झटका लग सकता है. कुछ खबरों में ऐसा दावा किया जा रहा है कि सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को बंद करने पर विचार कर रही है. हालांकि अभी इस बारे में कोई आधिकारिक अपडेट सामने नहीं आया है.


सरकार को महंगी लग रही ये स्कीम


सीएनबीसी टीवी18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को डिसकंटीन्यू कर सकती है. रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार इस स्कीम को महंगा और जटिल मान रही है. इसी कारण सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को बंद करने पर विचार किया जा रहा है. अगर ऐसा होता है तो यह स्कीम 10 साल भी पूरा नहीं कर पाएगी.


एसजीबी के निवेशकों के पैसे हो रहे हैं डबल


केंद्र सरकार ने सोने के आयात पर लगाम लगाने के लिए साल 2015 के अंत में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरुआत की थी. भारतीय रिजर्व बैंक सरकार की ओर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है. इस स्कीम से निवेशकों को काफी फायदा हो रहा था और उनके लिए यह पैसे को डबल करने वाला निवेश साबित हो रहा था. साथ ही टैक्स से मिलने वाली छूट इस स्कीम को निवेशकों के लिए काफी आकर्षक बना रही थी.


एसजीबी के निवेशकों को मिलते हैं ये फायदे


दरअसल सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों को एक साथ कई फायदे मिलते हैं. सबसे पहले तो मार्केट में आ रही तेजी के हिसाब से उनके निवेश की वैल्यू बढ़ती है. उसके अलावा निवेशकों को हर साल 2.5 फीसदी के ब्याज से कमाई होती है. गोल्ड बॉन्ड मैच्योर होने के बाद निवेशकों के हाथों में जो पैसे आते हैं, उस रकम पर टैक्स से पूरी तरह छूट मिलती है. निवेशकों को ऑनलाइन बॉन्ड खरीदने पर 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट भी मिलती है.


फिजिकल गोल्ड के झंझटों से छुटकारा


उनके अलावा गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों को फिजिकल गोल्ड के निवेश पर होने वाले कई नुकसान की चिंता नहीं होती है. फिजिकल गोल्ड खरीदने वालों को सबसे ज्यादा दिक्कत प्योरिटी को लेकर होती है, जिसके चलते वैल्यू में गिरावट आती है. एसजीबी में इस तरह की चिंता नहीं रहती है. फिजिकल गोल्ड को सुरक्षित रखना भी अलग समस्या है, जो एसजीबी के साथ नहीं है. एसजीबी में मेकिंग चार्ज आदि का भी कोई झंझट नहीं है. साथ ही एसजीबी में निवेशकों को ज्यादा लिक्विडिटी का फायदा मिलता है, क्योंकि इन्हें शेयरों की तरह बाजार में कभी भी खरीदा-बेचा जा सकता है.


सरकार के ऊपर बढ़ा निवेशकों का बकाया


निवेशकों को भले ही गोल्ड बॉन्ड से कई फायदे हो रहे हों, लेकिन सरकार को लगता है कि गोल्ड बॉन्ड उसके लिए घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं. सरकार ने इस साल बजट में बताया था कि उसके ऊपर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों का बकाया तेजी से बढ़ा है. इस बकाए का आंकड़ा मार्च 2020 में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 85 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. रिपोर्ट के अनुसार, एसजीबी को बंद करने के बारे में सरकार अगले महीने यानी सितंबर 2024 में फैसला ले सकती है. इसकी शुरुआत नवंबर 2015 में हुई थी.


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