Public Sector Banks: केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 5 बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाने की तैयारी शुरू कर दी है. वित्त वर्ष 2017 से 22 के बीच सरकार ने इन सभी बैंकों में काफी पूंजी डाली थी. इसके चलते बैंकों की बड़ी हिस्सेदारी सरकार के पास है. सरकार विनिवेश करके इन बैंकों का एनपीए कम करने की कोशिश करेगी ताकि इनकी बैलेंस शीट सुधारी जा सके. सरकार जल्द ही सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), यूको बैंक (UCO Bank) और पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab & Sind Bank) में अपनी हिस्सेदारी कम कर सकती है. इस विनिवेश के जरिए सरकार मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम का भी पालन सुनिश्चित कर सकेगी.
मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम की डेडलाइन अगस्त, 2024
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के नियमों के अनुसार, किसी भी कंपनी को लिस्टिंग के 3 साल के अंदर मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (Minimum Public Shareholding) 25 फीसदी करनी होती है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि इन सभी 5 बैंकों के लिए एमपीएस नियम का पालन करने के लिए अगस्त, 2024 तक अक समय है. इसलिए सरकार इससे पहले ही इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटा सकती है. सरकार ने इन सभी बैंकों को सूचित कर दिया है कि वह एमपीएस नियम का पालन करने के लिए इक्विटी बेचने की तैयारी करें. इससे इन बैंकों को अपनी मार्केट वैल्यू भी बढ़ाने में मदद मिलेगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एमपीएस न हासिल करने से मार्केट में गलत संदेश जाता है. इसलिए सरकार इस फैसले को टालेगी नहीं.
4 बैंकों में 90 फीसदी से भी ज्यादा है सरकार की हिस्सेदारी
फिलहाल पंजाब एंड सिंध बैंक में पब्लिक होल्डिंग 1.75 फीसदी, इंडियन ओवरसीज बैंक में 3.62 फीसदी, यूको बैंक में 4.61 फीसदी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 6.92 फीसदी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 13.54 फीसदी है. उधर, इनमें से 4 बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 90 फीसदी से भी ज्यादा है. पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.25 फीसदी, इंडियन ओवरसीज बैंक में 96.38 फीसदी, यूको बैंक में 95.39 फीसदी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 फीसदी है. हाल ही में यूनियन बैंक ने क्यूआईपी के जरिए लगभग 3000 हजार करोड़ रुपये जुटाए थे. अब बैंक में पब्लिक होल्डिंग 25.24 फीसदी हो चुकी है.
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