नई दिल्ली: श्रमिकों को आने वाले वक्त में खुशखबरी मिल सकती है. दरअसल, ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि सरकार कामकाजी घंटों को सीमित करने पर विचार कर रही है. इसके साथ ही अगर ज्यादा घंटे तक काम करवाया जाता है तो इसके लिए ओवरटाइम के हिसाब से भुगतान भी करना होगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक दैनिक कामकाजी घंटों को आठ घंटे तक सीमित करने पर सरकार विचार कर रही है.
वहीं कामकाजी आठ घंटों के खत्म होने के बाद भी अगर किसी कर्मचारी से काम करवाया जाता है तो वह ओवरटाइम माना जाएगा और ओवरटाइम के लिए अलग भुगतान करना होगा. सूत्रों ने बताया कि एक गलत धारणा थी कि नया श्रम कानून 12 घंटे कर्मचारी से काम करवाने की इजाजत देता है. इस गलत धारणा को खत्म करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है.
2021 में हो सकता है लागू
वहीं नवंबर 2020 में श्रम मंत्रालय की ओर से जारी किए गए ड्राफ्ट नियमों में यह अधिसूचित किया गया कि व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तों पर संहिता के तहत कामकाजी घंटों को 9 घंटे से ज्यादा 12 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है. पिछले साल अगस्त में कोड ऑन वेजेस, 2019 पारित किया गया था. इसकी 1 अप्रैल, 2021 से लागू होने की संभावना है. यह मजदूरी और बोनस से संबंधित चार कानूनों (मजदूरी अधिनियम का भुगतान-1936, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948, भुगतान बोनस अधिनियम-1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम- 1976) को समेकित करता है.
इस कोड में भारत में सभी श्रमिकों को मजदूरी के न्यूनतम और समय पर भुगतान के लिए प्रावधान किया गया है. इसमें केंद्र सरकार के जरिए श्रमिकों के न्यूनतम जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए दरें तय की जाएंगी. एक बार इसके लागू होने के बाद राज्य सरकारों के जरिए निर्धारित मजदूरी की न्यूनतम दरें केंद्र सरकार के जरिए निर्धारित मजदूरी से कम नहीं हो सकती हैं. यह संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में कार्यरत सभी कर्मचारियों पर भी लागू होता है.
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