सरकार चीन और हॉन्गकॉन्ग समेत सीमा लगे दूसरे देशों से एफडीआई नियमों में ढील दे सकती है. सरकार इन देशों के 26 फीसदी निवेश को ऑटोमैटिक रूट से अनुमति दे सकती है. सचिवों का एक अंतर मंत्रालय समूह इस मामले में अलग-अलग ऑप्शन के बारे में विचार कर रहा है. इसके तहत ही सरकार फैसला लेगी.
कम से कम 100 निवेश प्रस्ताव अटके हुए हैं
सरकार के इस फैसले से एफडीआई नियमों की वजह से कम से कम 100 निवेश प्रस्तावों को जल्द हरी झंडी मिल पाएगी. कुछ महीने पहले सीमा से लगे देशों से आने वाले एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी को जरूरी बना दिया गया था. सीमा पर चीन से तनाव के बाद यह कदम उठाया गया था. सूत्रों के मुताबिक डायरेक्ट मंजूरी तहत एफडीआई लिमिट 25 फीसदी भी की जा सकती है. कुछ सेक्टरों में 26 फीसदी की अनुमति दी जा सकती है. गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट के मामले में सीमा 25 फीसदी रखी गई है ताकि बेनिफिशियल ओनरशिप का फायदा मिल सके. हालांकि सरकार की ओर से इस मुद्दे पर जल्द ही कोई स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा.
अमेरिका, यूरोप के निवेश प्रस्ताव लटके
नियमों में बदलाव की वजह से अमेरिका और यूरोप से आए कई निवेश प्रस्ताव लटक गए थे. जिन एफडीआई को मंजूरी मिल सकती है उनमें चीन और हॉन्गकॉन्ग के निवेश कम ही हैं. सरकार सीमावर्ती देशों से ऑटोमैटिक रूट के तहत एफडीआई को मंजूरी दे सकती है तो बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान से किसी भी एफडीआई को सीधे मंजूरी मिल सकती है. हालांकि इसकी सीमा 26 फीसदी रखी जा सकती है.
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