पीएफ पर घट सकता है ब्याज, 8.5 फीसदी ब्याज को बरकरार रखना हो रहा है मुश्किल
निवेश पर गिरते रिटर्न और कैश फ्लो की रफ्तार कम होने से छह करोड़ सब्सक्राइवर की रिटायरमेंट सेविंग में गिरावट आती जा रही है.
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आर्थिक हालात की वजह से निवेश पर गिरते रिटर्न का अब पीएफ पर असर पड़ रहा है. चालू वित्त वर्ष के लिए इसकी ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. ईपीएफओ ने इम्पलॉयज प्रॉविडेंट फंड यानी यानी EPF के सब्सक्राइवर्स के लिए वित्त वर्ष 2019-20 में 8.5 फीसदी का ब्याज निर्धारित किया गया था. लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में इस ब्याज दर को बरकरार रखना मुश्किल हो सकता है क्योंकि निवेश पर गिरते रिटर्न और कैश फ्लो की रफ्तार कम होने से छह करोड़ सब्सक्राइवर की रिटायरमेंट सेविंग में गिरावट आती जा रही है.
पीएफ में ब्याज घटाने का ऐलान कर सकती है सरकार
पीएफ पर ब्याज दर पिछले वित्त वर्ष यानी 2019-20 के दौरान 8.5 फीसदी थी. इसी वित्त वर्ष की कमाई के आधार पर यह ब्याज दर निर्धारित की गई थी. लेकिन सब्सक्राइवर को उनके पीएफ के कंट्रीब्यूशन पर कितना ब्याज दिया जाएगा, यह इस साल की दूसरी छमाही में निर्धारित होगी. ईपीएफओ की फाइनेंस, इनवेस्टमेंट एंड ऑडिट कमेटी जल्द ही बैठक कर यह तय करेगी कि 8.5 फीसदी ब्याज दिया जा सकता है या नहीं.
मार्च, 2020 के पहले सप्ताह में पीएफ पर 8.5 फीसदी की ब्याज दर का ऐलान किया गया था लेकिन इसे अभी वित्त मंत्रालय की मंजूरी नहीं मिली है. अब इसे जारी रखना संभव हो पाएगा इस पर शंका जताई जा रही है. फिलहाल इस बात के आसार जताए जा रहे हैं कि सरकार पीएफ ब्याज दरों में गिरावट का ऐलान कर सकती है.
सरकार ने कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए पीएफ के मामले में कई राहत का ऐलान किया है ताकि कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को आसानी हो. तीन महीने के लिए पीएफ का कंट्रीब्यूशन सैलरी के 12 फीसदी से घटा कर 10 फीसदी कर दिया गया है. कोरोनावायरस से आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए कर्मचारियों का तीन महीने की बेसिक सैलरी या कंट्रीब्यूशन का 75 फीसदी तक पैसा निकालने की इजाजत दी गई है.
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