सरकार अब सोशल सिक्योरिटी स्कीम के तहत गिग वर्कर्स को भी लाएगी. सरकार ओला-उबर जैसी टैक्सी एग्रीगेटर कंपनियों और जोमाटो जैसी फूड सर्विस कंपनियों में काम करने वाले कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए पेंशन और मेडिकल सुविधा बहाल कर सकती है. इससे जोमाटो, स्विगी के डिलीवरी स्टार्टअप और अमेजन, फ्लिपकार्ट ई-कॉमर्स में काम करने वाले लाखों अस्थायी कर्मचारियों को फायदा हो सकता है. स्टार्ट-अप या दूसरी कंपनियों के साथ अस्थायी तौर पर काम करने वाले कर्मचारियों को गिग वर्कर कहते हैं.


गिग वर्कर्स को बेरोजगारी भत्ता देने की मांग 


देश में कोरोनावायरस संक्रमण से अर्थव्यवस्था को लगे झटके की वजह से बड़ी तादाद में गिग वर्कर्स का रोजगार छिना है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ के तहत ईपीएफ, ईपीएस, ईएसआई और आयुष्मान जैसे मेडिकल सुविधा मुहैया कराई जाती है. लिहाजा गिग वर्कर्स के लिए अलग से कोई स्कीम लाने की जरूरत नहीं हैं. उन्हें इन स्कीम के तहत ये सुविधाएं दी जाती हैं. जरूरत पड़ी तो गिग वर्कर्स के लिए खास फंड भी बनाया जा सकता है. यह डेडिकेटेड गिग वर्कर फंड मौजूदा सोशल सिक्योरिटी स्कीम के तहत बनाया जा सकता है.


संसद में पेश होगा बिल 


श्रम मंत्रालय की संसदीय कमेटी ने ऐसे वर्कर के लिए बेरोजगारी भत्ते की भी सिफारिश की है. उसका कहना है कि असंगठित क्षेत्र के सभी कर्मचारियों को यह भत्ता मिलना चाहिए.अस्थायी कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी स्कीम तहत सुविधाएं देने वाला बिल संसद में पेश किया जाना है. इसमें गिग वर्कर्स के लिए भी सोशल सिक्योरिटी स्कीम की मांग की गई है.