सरकार ने ‘वॉयस’ आधारित BJP यानी टेलीफोन के जरिये ग्राहकों को सेवा देने वाले क्षेत्रों के लिये दिशा-निर्देश को उदार बनाया है. इसके तहत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इकाइयों के बीच अंतर को समाप्त कर तथा अन्य सेवा प्रदाताओं (ओएसपी) के बीच इंटरकनेक्टिविटी की अनुमति दी गयी है. इस पहल का मकसद एक पसंदीदा वैश्विक आउटसोर्सिंग केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत बनाना है.
मौटे तौर पर नियमों के तहत अब वैश्विक कंपनियों जैसे एयरलाइन को भारत में कॉल सेंटर (वॉयस आधारित केंद्र) के जरिये वैश्विक और घरेलू ग्राहकों को साझा दूरसंचार संसाधनों के जरिये सेवा देने की अनुमति होगी. पूर्व में इसके लिये उन्हें अलग-अलग बुनियादी ढांचा तैयार करने की जरूरत पड़ती थी.
इसके अलावा एक ही कंपनी, समूह की कंपनी या असंबद्ध कंपनी के किसी भी बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) केंद्र को लेकर डेटा इंटरकनेक्टिविटी यानी दो या दो अधिक केंद्रों के नेटवर्किंग पर पाबंदी समाप्त कर दी गयी है. इसके साथ बीपीओ परिचालन में संसाधनों के प्रबंधन में लचीलापन की अनुमति दी गयी है.
दूरदराज के कॉल सेंटर में काम करने वाले एजेंटों के लिये ग्राहकों से जुड़ने को लेकर कनेक्विटी मानदंडों को भी उदार बनाया गया है. कुल मिलाकर इन उपायों से बीपीओ के लिये बड़े स्तर पर लागत कम होगी और संसाधनों के बेहतर उपयोग के मामले में उल्लेखनीय रूप से सुधार आएगा. इससे भारत सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) युक्त सेवा परिचालनों के लिये अनुकूल और पसंदीदा केंद्र के रूप में स्थापित होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘हमारे बीपीओ उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए, नवंबर 2020 में उदार किए गए ओएसपी दिशानिर्देशों को और भी सरल बनाया गया है, जो व्यापार में अधिक सुगमता और नियामकीय स्पष्टता प्रदान करते हैं. यह अनुपालन बोझ को और कम करेगा और हमारे तकनीकी उद्योग की मदद करेगा.’’
ओएसपी अब अपने कामकाज को स्वयं नियमन कर सकेंगे और उन्हें नियमित आधार पर दूरसंचार विभाग को रिपोर्ट जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. कंपनियों को एक निर्धारित अवधि के लिए सभी ग्राहक कॉल के लिए कॉल डाटा रिकॉर्ड, उपयोग डाटा रिकॉर्ड और सिस्टम लॉग बनाए रखना होगा. साथ ही डाटा सुरक्षा मानदंडों का पालन करना होगा.
अन्य सेवा प्रदाताओं (ओएसपी) के लिये इस उदारीकृत दिशानिर्देश से उन बीपीओ संगठनों को लाभ होगा, जो कॉल सेंटर (वॉयस आधारित सेवाएं) चला रहे हैं. ओएसपी से आशय ऐसी कंपनियों या इकाइयों से है जो दूरसंचार संसाधनों का उपयोग कर आईटी युक्त सेवाएं, कॉल सेंटर या अन्य प्रकार की आउटसोर्सिंग सेवाएं दे रही हैं. इसमें टेली मार्केटिंग, टेलीमेडिसिन आदि सेवाएं शामिल हैं.
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ओएसपी के बीच अंतर को समाप्त कर दिया गया है. बीपीओ केंद्र अब साझा दूरसंचार संसाधनों से भारत दुनिया के किसी भी देश में रहने वाले ग्राहकों को सेवा दे सकते हैं. नये दिशा-निर्देश के अनुसार घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय ओएसपी केंद्रों के बीच अंतर को हटाने के साथ, ऐसे सभी प्रकार के केंद्रों के बीच ‘इंटरकनेक्टिविटी’ की अनुमति दी गई है.
आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘ओएसपी के सुदूर बैठा एजेंट अब ओएसपी के केंद्रीकृत ईपीएबीएक्स/ईपीएबीएक्स के साथ वायरलाइन/वायरलेस पर ब्रॉडबैंड सहित किसी भी तकनीक का उपयोग कर ग्राहक के ईपीएबीएक्स से सीधे जुड़ सकता है.’’ इसमें कहा गया है कि एक ही कंपनी या समूह कंपनी या अन्य कंपनी के किसी भी केंद्र के बीच डेटा इंटरकनेक्टिविटी पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा. इससे बीपीओ छोटी इकाइयों को काम के उप-ठेके आसानी से दे सकेंगे.
संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने आज ओएसपी दिशानिर्देशों को अत्यधिक उदार बनाया है. यह क्रांतिकारी कदम भारत को बीपीओ के लिए एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य बनाएगा.’’ भारत का आईटी-बीपीओ उद्योग 2019-20 में 37.6 अरब डॉलर (करीब 2.8 लाख करोड़ रुपये) का था. इस क्षेत्र में लाखों युवाओं को रोजगार मिला हुआ है. उन्होंने कहा कि देश के बीपीओ उद्योग में काफी संभावना है और यह 2025 तक 55.5 अरब डॉलर (3.9 लाख करोड़ रुपये) पहुंच सकता है.