सरकार ने मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इडस्‍ट्रीज और सेल फर्म बीजी एक्‍सप्‍लोरेशन एंड प्रोडक्‍शन इंडिया के खिलाफ हाईकोर्ट की ओर रुख किया है. इन फार्मों पर रॉयल्टी और टैक्‍सेस को लेकर 5 अरब डॉलर की रीकवरी का विवाद है. वहीं कोर्ट ने इसे लेकर दोनों कंपनियों से जवाब मांगा है. सरकार की अपील पर जज सुरेश कैत की अगुवाई वाली खंडपीठ ने जवाब तलब किया है. 


रिलायंस और सेल फर्म पर क्‍या आरोप 


आरोप लगाया गया है कि दोनों कंपनियां गैरकानूनी रूप से महत्वपूर्ण मात्रा में सार्वजनिक धन (करीब 5 अरब डॉलर से अधिक) को रोक रही हैं, जो पहले से ही बकाया और देय हो चुका है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को तय की गई है. इस दिन तक कोर्ट में कंपनियों को रिपोर्ट सबमिट करना होगा, जिसके बाद कोर्ट सुनवाई करेगा. 


लंबे समय से नहीं किया भुगतान


इसमें कहा गया है कि न्यायमूर्ति शंकर के फैसले ने उस ठेकेदार को प्रीमियम दिया है जिसने भारत सरकार को लंबे समय से भुगतान न करके भारी संपत्ति अर्जित की है. हालांकि दोनों कंपनियों की ओर से इसे लेकर अभी जवाब नहीं आया है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की अपील के बाद दोनों कंपनियों से जवाब तलब किया गया है.  बता दें कि 2016 के अंतिम आंशिक पुरस्कार की शर्तें, एक मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा पारित ऐसे पुरस्कारों की श्रृंखला में से एक हैं. 


तेल मंत्रालय की याचिका कर दी थी खारिज 


गौरतलब है कि हाईकोर्ट के जज सी हरि शंकर ने 2 जून को 2016 एफपीए को लागू करने के लिए तेल मंत्रालय की याचिका को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने इसे समय से पहले रखरखाव योग्‍य और एक्‍जीक्‍युशन योग्‍य नहीं माना था. सरकार ने कहा कि सिंगल न्यायाधीश पीठ ने प्रवर्तन याचिका को गलती से खारिज कर दिया था. यह नजरअंदाज करते हुए कि 2016 एफपीए "स्पष्ट रूप से और स्पष्ट रूप से" दोनों पक्षों के दायित्वों और अधिकारों के संबंध में अंतिम और निर्णायक पुरस्कार था. 


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