नई दिल्लीः सरकार कोरोना वायरस प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिये प्रोत्साहन पैकेज के तहत लोन गारंटी योजना पर काम कर रही है. इससे बैंक एमएसएमई क्षेत्र को वेतन भुगतान के लिये 10 से 15 फीसदी अतिरिक्त कार्यशील पूंजी उपलब्ध करा पाएंगे. लॉकडाउन के कारण इंडस्ट्रियल यूनिट्स बंद हैं और पिछले दो महीनों से कोई कामकाज नहीं हो रहा. ऐसे में सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के पास वेतन देने के लिये पैसा नहीं है. सरकार उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है.


फिलहाल बैंक कार्यशील पूंजी सीमा के आधार पर 10 फीसदी अतिरिक्त कर्ज सुविधा की पेशकश कर रहे हैं. अब सरकार की इसमें और वृद्धि की योजना है. इन प्रस्तावों में से एक बैंकों द्वारा कार्यशील पूंजी सीमा का 10 से 15 फीसदी अतिरिक्त कर्ज सुविधा उपलब्ध कराने का है जिसपर विचार जारी है. कृषि के बाद एमएसएमई क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है.


सूत्रों के मुताबिक ये कर्ज मुख्य रूप से वेतन भुगतान के लिये होगा और प्रस्तावित लोन गारंटी कोष के जरिये इसमें गारंटी दी जाएगी. इससे बैंकों का पैसा किसी कर्जदार द्वारा चूक की स्थिति में सुरक्षित होगा.


एमएसएमई क्षेत्र का देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 28 फीसदी से अधिक योगदान है जबकि निर्यात में योगदान 40 फीसदी से ज्यादा है. इतना ही नहीं इस क्षेत्र में 11 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है.


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ‘लॉकडाउन’ के बाद से एमएसएमई क्षेत्र और कंपनियों को 42,000 करोड़ रुपये का कर्ज दे चुके हैं. ये कर्ज कोविड- 19 आपात लोन सुविधा के तहत दिये गए. इसका उद्देश्य एमएसएमई को काम में बने रहने के लिये जरूरी नकदी उपलब्ध कराना है.


देश में 25 मार्च से बंद के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कोविड-19 आपात कर्ज सुविधा शुरू की. इसके तहत कार्यशील पूंजी सीमा का 10 फीसदी अतिरिक्त कर्ज (टॉप-अप लोन) दिया जाता है. इसमें कर्ज की अधिकतम सीमा 2,00 करोड़ रुपये है.


सरकार के पास उपलब्ध आंकड़े के अनुसार अबतक बैंकों ने 27,426 करोड़ रुपये का कर्ज एमएसएमई को दिया है. इसके अलावा बड़ी कंपनियों ने 14,735 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. संख्या के आधार पर करीब 10 लाख एमएसएमई और 6,428 कंपनियों ने अबतक यह लाभ उठाया है.


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