NITI Aayog: केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा कानून और एलपीजी सब्सिडी स्कीम की करेगी समीक्षा, फिजूलखर्ची और चोरी रोकने के लिए लिया फैसला
Niti Aayog: नीति आयोग के अधीन आने वाले डेवलपमेंट मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन ऑफिस ने योजनाओं के आंकलन करने के लिए सेंट्रल कोआर्डिनेटिंग एजेंसी नियुक्त करने का फैसला किया है.
Food & LPG Subsidy: केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (National Food Security Act) और रसोई गैस (LPG Subsidy Scheme ) पर दी जाने वाली सब्सिडी स्कीमों का आकलन और मुल्याकंन करने का फैसला किया है जिससे फिजूल खर्ची को रोकने से लेकर सरकारी धन की चोरी और बर्बादी को रोका जा सके साथ ही इन योजनाओं के सही लाभार्थियों को इसका फायदा मिल रहा है या नहीं इसका पता लगाया जा सके.
नीति आयोग के अधीन आने वाले डेवलपमेंट मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन ऑफिस (Development Monitoring and Evaluation Office) ने खाद्य सुरक्षा कानून और रसोई गैस पर सब्सिडी स्कीम के आंकलन और अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय ऑर्गनाइजेशन, संस्थाएं जिनके पास अनुभव है उन्हें सेंट्रल कोआर्डिनेटिंग एजेंसी के तौर पर नियुक्त करने के लिए आरएफपी (Request for Proposal) जारी किया है. जो भी आवेदनकर्ता इसके लिए आवेदन करना चाहते हैं उन्हें सरकार के ई-मार्केटप्लेस पोर्टल GeM पर आवेदन करना होगा.
फूड सिक्योरिटी पर 4.50 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च
इस फैसले को लेकर जारी किए गए बैकग्राउंड रिपोर्ट में डेवलपमेंट मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन ऑफिस ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून जनता को भोजन और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने वाली दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 में अमल में आया था जिसके तहत सस्ती कीमत पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही पकाया हुआ भोजन, राशन और फूड सिक्योरिटी अलाउंस पीडीएस सिस्टम, इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम ( (ICDS) और मिडडे मिल स्कीम (Mid-Day Meal Scheme) के तहत उपलब्ध कराया जाता है. टार्गेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को लागू करने पर 2021 में 4,22,618.11 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. जबकि मिडडे मिल पर 12,900 करोड़ रुपये और आईसीडीएस पर 17,252.21 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
डेवलपमेंट मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन ऑफिस के मुताबिक सरकार की तरफ से इतना ज्यादा पैसे खर्च किए जाने के बावजूद खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार के मोर्च पर बहुत ही धीमी गति के साथ प्रगति देखने को मिल रही है. वैश्विक भुखमरी के बोझ का लगभग 30% भारत पर पड़ता है. करीब 208.6 मिलियन भारत में लोग अल्पपोषित हैं. 5 वर्ष से कम उम्र के एक तिहाई बच्चे अविकसित हैं, 10-14 वर्ष की आयु के किशोरों का बॉडी-मास-इंडेक्स (बीएमआई) उनकी उम्र के अनुसार कम है, और 15-59 वर्ष और 15-19 वर्ष की महिलाओं में से आधे से अधिक एनीमिया से पीड़ित हैं.
एलपीजी सब्सिडी की समीक्षा
चीन और अमेरिका के बाद भारत एनर्जी खपत के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है. जनसंख्या में बढ़ोतरी के साथ देश में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की खपत बढ़ती जा रही है. एलपीजी सब्सिडी के जरिए सरकार की कोशिश ग्रामीण इलाकों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराना है. कुल पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के खपत में एलपीजी खपत की हिस्सेदारी बढ़कर 12.3 फीसदी हो चुकी है. आने वाले दिनों एलपीजी की खपत बढ़ने वाली है. ऐसे में एलपीजी सबसिडी की समीक्षा किया जाना बेहद जरूरी है.
ये भी पढ़ें