सीमा पर तनाव के बाद भी चीनी कंपनियों को मिलेगी भारत में एंट्री? सरकार खोल सकती है रास्ता बशर्ते...
Chinese Investment: पड़ोसी देशों से निवेश के नियमों में ढील देकर भारत सरकार चीनी कंपनियों को एंट्री की मंजूरी दे सकती है. हालांकि, ज्वॉइंट वेंचर में मेजॉरिटी शेयर भारतीय कंपनी का होगा.

Chinese Investment: केंद्र सरकार भारत में ज्यादा से ज्यादा निवेश को बढ़ावा देना चाहती है. इसके लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. अब सरकार चीन की कंपनियों की भारत में एंट्री आसान बनाने पर विचार कर रही है. इसके लिए 2020 में लिए गए कड़े फैसले में बदलाव किए जा सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि अगर चीनी कंपनियां किसी भारतीय कंपनी के साथ ज्वॉइंट वेंचर बनाएं तो उन्हें भारत में एंट्री मिल सकती है. हालांकि, इस ज्वॉइंट वेंचर में मेजॉरिटी शेयर भारतीय कंपनी का होना चाहिए.
इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो कंपनियां बनाना चाहती हैं ज्वॉइंट वेंचर
साल 2020 में जारी प्रेस नोट 3 के अनुसार, भारत के साथ बॉर्डर शेयर करने वाले देशों की कंपनियों को यहां निवेश करने से पहले केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जल्द ही ज्वॉइंट वेंचर बनाने वाली चीनी कंपनियों की भारत में एंट्री आसान हो जाएगी. भारत की कई इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल कंपनियां चीनी कंपनियों के साथ ज्वॉइंट वेंचर बनाना चाहती हैं. इन्होंने भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड से नियमों में ढील देने की मांग की है.
सीमा विवाद के बाद बदल दिए गए थे निवेश के नियम
भारत और चीन में सीमा विवाद के हिंसक रूप लेने के बाद साल 2020 में प्रेस नोट 3 जारी किया गया था. इसके बाद चीन और बांग्लादेश जैसे देशों की कंपनियों के लिए भारत में एंट्री मुश्किल हो गई थी. पड़ोसी देशों की कंपनियों को भारत में निवेश से पहले केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है. इसके चलते कई ज्वॉइंट वेंचर के प्रस्ताव खत्म हो गए थे. चीन की ग्रेट वॉल मोटर (Great Wall Motor) ने भी जनरल मोटर्स (General Motors) के पुणे प्लांट को खरीदने से हाथ पीछे खींच लिए थे.
साल 2022 में भी की गई थी नियम बदलने की कोशिश
साल 2022 में दावा किया गया था कि भारत सरकार कुछ नियमों में बदलाव कर चीनी कंपनियों की एंट्री आसान बना सकती है. उस समय लगभग 50 भारतीय कंपनियां चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान, वियतनाम और यूरोपीय देशों की कंपनियों के साथ ज्वॉइंट वेंचर की संभावना तलाश रही थीं.
जेएसडब्लू ग्रुप और एमजी मोटर इंडिया ने बनाया है ज्वॉइंट वेंचर
रिपोर्ट के अनुसार, सालों से अटके पड़े मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट्स को नियमों में बदलाव से नई जिंदगी मिल जाएगी. हाल ही में कुछ इसी तरह से जेएसडब्लू ग्रुप (JSW Group) और एमजी मोटर इंडिया (MG Motor India) को ज्वॉइंट वेंचर बनाने की मंजूरी मिल गई थी. हालांकि, नियमों में ढील देने के बावजूद ऐसे ज्वॉइंट वेंचर को भारत सरकार की मंजूरी लेनी पड़ेगी. साथ ही भारतीय कंपनी के पास ही इसका मालिकाना हक रहेगा. इससे ऑटो पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स आसानी से भारत में ही बनाए जा सकेंगे.
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