सरकार बैंकिंग सेक्टर में सुधार के बड़े कदम उठाने जा रही है. इसके तहत छह सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन हो सकता है. सरकार अब अपने पास सिर्फ पांच बैंक रखेगी. रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक पहले चरण के निजीकरण के तहत सरकार बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक में अपनी अधिकतम हिस्सेदारी बेच देगी.
रॉयटर्स की खबर में सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि सरकार अपने पास सिर्फ चार-पांच बैंक ही रखना चाहती है. इस समय देश में 12 सरकारी बैंक हैं. अधिकारी ने कहा कि प्राइवेटाइजेशन का पूरा खाका तैयार किया जा रहा है. पूरी योजना को जल्द ही कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा. हालांकि इस पूरे मामले में वित्त मंत्रालय ने किसी भी टिप्पणी से इनकार कर दिया है.
सरकार अपने पास पांच से ज्यादा बैंक नहीं रखेगी
कोरोनावायरस संकट की वजह से मंदी से घिर चुकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को ज्यादा फंड की जरूरत है. इसलिए सरकार अपनी कंपनियों और बैंकों में हिस्सेदारी बेच कर पैसा जुटाना चाहती है.कई सरकारी कमेटियों और आरबीआई ने सरकार को सुझाया था कि उसे अपने पास पांच-छह से ज्यादा सरकारी बैंक नहीं रखना चाहिए. एक सरकारी बैंक के बड़े अधिकारी ने कहा कि अब और सरकारी बैंकों का आपस में विलय नहीं होगा. सरकार ने यह साफ कर दिया है. इसलिए अब इनमें अपनी हिस्सेदारी बेचने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. पिछले साल सरकार ने दस बड़े बैंकों का चार बैंकों में विलय कर दिया था.
जिन बैंकों का विलय नहीं हुआ है, अब उन्हें निजी हाथों में बेचने की तैयारी चल रही है. हालांकि ये बैंक बुरी तरह एनपीए की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में ज्यादा गहरे संकट में फंसे बैंकों के लिए ग्राहक जुटाना मुश्किल हो सकता है. भारतीय बैंकों का एनपीए 9.35 लाख करोड़ रुपये का हो चुका है. सितंबर, 2019 के मुताबिक यह इनकी कुल संपत्ति का 9.1 फीसदी है.