Digital loan: इंस्टैंट पर्सनल लोन ऐप वालों की प्रताड़ना से परेशान लोगों को अब खुदकुशी की नौबत नहीं आएगी. भोले-भाले लोगों को कर्ज की जाल में फंसाकर उनका शोषण करने वालों की अब खैर नहीं है. ऐसे शातिरों से निपटने के लिए भारत सरकार नया कानून लाने जा रही है. जल्दी ही यह विधेयक संसद में पेश किया जाएगा. इसके तहत डिजिटल या किसी अन्य माध्यम से भी अनरेगुलेटेड लोन देकर परेशान करने वालों को 10 साल तक जेल की चक्की पीसनी होगी. इतना ही नहीं उन्हें दो करोड़ तक का जुर्माना भी भरना होगा.


लोन देकर अगर प्रताड़ित नहीं भी किया, परंतु लोन अनरेगुलेट है या रिजर्व बैंक या दूसरे किसी रेगुलेटर द्वारा मंजूर नहीं है तो सात साल तक के जेल की सजा भुगतनी होगी. एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी भऱना होगा.


बिल का ड्राफ्ट तैयार, जनता से मांगी राय


भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के फाइनेंशियल सर्विसेज डिपाक्टमेंट ने ‘Banning of Unregulated Lending Activities (BULA)’ नामक इस बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि रिजर्व बैंक या दूसरे किसी रेगुलेटर से रजिस्टर्ड कराए बिना या किसी कानून के प्रावधान के तहत नहीं आने वाले डिजिटल या अन्य मनीलेंडर्स के खिलाफ इस बिल में क़ड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. 


बिल के ड्राफ्ट को पब्लिक के लिए सार्वजनिक कर दिया गया है. 13 फरवरी तक इस पर राय दी जा सकती है या कोई संशोधन सुझाया जा सकता है. इसके तहत पब्लिक लेंडिंग एक्टिविटी को डिफाइन किया गया है. इसमें ब्याज पर दी गई कोई भी रकम  लोन माना जाएगा. केवल खुद को या रिश्तेदार को बिना ब्याज के दिया गया पैसा पब्लिक लेंडिंग एक्टिविटी के तहत नहीं आएगा. इसके तहत भारतीय संविधान की पहली अनुसूची में आने वाले उन 20 कानूनों को भी समाहित किया गया है, जिनसे लोन एक्टिविटी संचालित की जाती है. इस कानून के उल्लंघन को जेल की सजा और जुर्माने के साथ गैरजमानतीय अपराध करार दिया जाना है. इसके तहत कम से कम दो साल की सजा दी जाएगी. 


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