चार साल के बाद टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी फिर शुरू होने जा रही है. सरकार सात 4जी बैंड में 2,250 मेगाहर्ट्ज के एयर वेव की नीलामी करेगी. एक मार्च से होने वाली नीलामी के तहत सरकार 3.92 लाख करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम की नीलामी कर सकती है. रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के लिए यह स्पेक्ट्रम हासिल करने का बेहतरीन मौका हो सकता है लेकिन इंडस्ट्री विश्लेषकों का कहना है कि टेलीकॉम सेक्टर के मौजूदा खस्ता हाल की वजह से 40 से 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का स्पेक्ट्रम नहीं बिकेगा.


स्पेक्ट्रम की एक चौथाई कीमत तुरंत अदा करनी होगी


इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक इन 4 जी स्पेक्ट्रम के सफल बिडरों को कुल स्पेक्ट्रम की 25 से 30 फीसदी कीमत तुरंत अदा करनी होगी. यह राशि बैंड पर निर्भर करेगी. चूंकि यह शॉर्ट ऑक्शन होगा इसलिए सरकार के पास 15 से 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं आएंगे. दो साल के मोरेटिरियम पीरियड के बाद बिडर्स को बाकी की रकम 16 किस्तों में देनी होगी. जो एयरवेव तुरंत उपब्ध नहीं होगे, उनके लिए मौजूदा राशि दस से बीस फीसदी के बीच रहेगी.


नीलामी से रिलायंस जियो को फायदा


सरकार ने नीलामी के लिए जो सूचना जारी की है उसके मुताबिक यह 700 मेगाहर्ट्ज से 2500 मेगाहर्ट्ज के बीच सात 4जी बैंड में 2,250 मेगाहर्ट्ज एयरवेव की नीलामी करेगी. सरकार की ओर से स्पेक्ट्रम बेचने की इस योजना का सबसे ज्यादा फायदा रिलायंस जियो को मिल सकता है क्योंकि उसके कई स्पेक्ट्रम परमिट खत्म हो रहे हैं. भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को भी फायदा होगा. डेटा यूज बढ़ने से उन्हें अपनी बैंडविड्थ बढ़ाने की जरूरत होगी. इसके लिए उन्हें स्पेक्ट्रम खरीदना जरूरी है.


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