इनकम की गलत जानकारी और फर्जी बिल के जरिये गलत जीएसटी रिफंड क्लेम करने वालों के लिए अब नकेल कसने की तैयारी शुरू हो गई है. सरकार ने इस तरह के फर्जीवाड़े रोकने के लिए रणनीति बनाई है. अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक दूसरों के साथ आंकड़ों का आदान-प्रदान के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं.
डेटा शेयरिंग से पकड़े जाएंगे फर्जीवाड़ा करने वाले
इस समझौते के बाद दोनों विभाग आपस में डेटा शेयर कर सकेंगे. इससे फर्जी बिल देकर जीएसटी रिफंड क्लेम करने वालों को पकड़ा जा सकेगा. इसके अलावा जो लोग जीएसटी और इनकम टैक्स भरने में गड़बड़ी करेंगे वे भी सरकार की निगाह में आ जाएंगे. अगर किसी ने फर्जी बिल देकर ज्यादा जीएसटी क्लेम करने की कोशिश की तो इनकम टैक्स विभाग की ओर से डेटा चेक करने पर पकड़ में आ जाएगा. किसी मामले तुरंत तहकीकात की जरूरत पर भी दोनों विभाग आपस में डेटा शेयर कर सकते हैं.
हाल के दिनों में फर्जी बिल देकर जीएसटी क्लेम करने के मामले काफी बढ़ गए थे. सरकार के जीएसटी कलेक्शन में कमी आई है. दूसरी ओर इस तरह के फर्जीवाड़े की वजह से भी उसे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था. अब इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के पुख्ता तरीकों के तहत गलत रिफंड क्लेम करने वालों को रोका जाएगा.