सरकार ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए उठाया कदम, ओपन मार्केट में बेच डाला इतना गेहूं-चावल
सरकार ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए ओपन मार्केट के जरिए गेहूं और चावल की बिक्री कर रही है, ताकि अनाज की बढ़ी कीमतों में कमी आ सके.
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फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने 28 जून को शुरू हुई वीकली ई-नीलामी के माध्यम से ओपन मार्केट में 1.28 मीट्रिक टन गेहूं बेचा है. हालांकि पांच जुलाई से सिर्फ 32,520 टन चावल सेल की है. बुधवार को कॉरपोरेशन ने 0.2 मीट्रिक टन पेशकश की तुलना में 0.16 मीट्रिक टन गेहूं बेचा, जबकि 0.32 मीट्रिक टन बिक्री पेशकश की तुलना में सिर्फ 1,100 टन चावल की बिक्री बेची है.
अनाज की कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया था. सरकार ने थोक खरीदारों को खुले बाजार में केंद्रीय पूल से 5 मीट्रिक टन गेहूं और 2.5 मीट्रिक टन चावल बेचने का एलान किया था. हालांकि अभी तक गेहूं और चावल की बिक्री ओपन मार्केट में आधे से भी कम हुई है.
महंगाई को कंट्रोल करने तक बेचता रहेगा अनाज
जुलाई में अनाज और प्रोडक्ट कैटेगरी में रिटेल महंगाई दर 13.04 फीसदी दर्ज की गई, जो जनवरी में 16.12 फीसदी से कम है. पिछले साल अक्टूबर से अनाज की महंगाई दर दोहरे अंक में थी. मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अनाज की कीमतों में महंगाई पर अंकुश लगने तक एफसीआई अपने बचे स्टॉक से अनाज बेचना जारी रखेगा.
बफर स्टॉक में पर्याप्त अनाज
मौजूदा समय के दौरान एफसीआई के पास 34.13 मीट्रिक टन चावल है, जिसमें 1 अक्टूबर के लिए 10.25 मीट्रिक टन के बफर के मुकाबले मिलर्स से मिले 10.75 मीट्रिक टन चावल शामिल है. गेहूं के मामले में केंद्रीय पूल स्टॉक 20.52 के बफर के मुकाबले लगभग 26.37 मीट्रिक टन है. अधिकारी ने कहा कि बफर स्टॉक में पर्याप्त अनाज है और यह ओपन मार्केट के लिए उपलब्ध है.
चावल के निर्यात पर प्रतिबंध
चावल की महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने पिछले महीने गैर-बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है और पिछले सप्ताह उबले चावल पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया गया है. 15 अक्टूबर तक बासमती चावल निर्यात पर 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगया गया है. एफसीआई ने इथेनॉल निर्माण के लिए डिस्टिलरीज को चावल उपलब्ध कराना भी बंद कर दिया है.
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