नई दिल्ली: सरकार ने देश में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिकक्स मैन्यूफैक्चरिंग की तीन बड़ी योजनाओं का ऐलान किया है. इन स्कीमों के जरिये देशी और विदेशी कंपनियों से बड़ा निवेश आ सकता है. इससे देश में इलेक्ट्रॉनिक्स खास कर मोबाइल फोन और उनके पुर्जों के उत्पादन में बड़ा इजाफा हो सकता है. सरकार के मुताबिक सरकार की इन स्कीमों की बदौलत इस सेक्टर में 2025 तक दस लाख करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है. इससे 5 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और 15 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा.


सरकार ने बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम लांच की है. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट और सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग और मोडिफाइड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग कलस्टर के लिए भी स्कीम लांच की है.


प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम के तहत भारत में बने सामानों की बिक्री पर चार से छह फीसदी का इन्सेंटिव दिया जाएगा. बेस ईयर के आधार पर योग्य कंपनियां पांच साल तक इस स्कीम का फायदा उठा सकेंगीं.


एपल भी लगा सकेगी भारत में अपना प्लांट 


सरकार ने प्लांट इवैल्यूएशन क्लॉज भी हटा दिया है. इसके बाद एपल जैसी कंपनियों के लिए भारत में फैक्टरी लगाना आसान हो जाएगा. एपल की पार्टनर कंपनियां भी भारत में प्लांट लगा सकेंगी.


केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इन स्कीमों को लॉन्च करते हुए कहा कि सरकार 2025 तक देश में मोबाइल फोन का उत्पादन 35 से 40 फीसदी तक बढ़ाना चाहती है. इसके लिए तीनों इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग स्कीमों पर लगभग 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे. इनसे घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा.


उन्होंने कहा कि इससे देश में मजबूत इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार होगा. सरकार के मुताबिक 2014 में भारत में केवल दो मोबाइल फैक्टरियां थीं. लेकिन आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स बन गया है. भारत अपनी जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का हिस्सा बढ़ाना चाहता है.