खाद्य वस्तुओं की महंगाई सरकार के लिए दिक्कत बनती जा रही है. खास कर सब्जियों और दालों की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. आलू-प्याज के दाम के बाद अब दालों के दाम ने भी रंग दिखाना शुरू कर दिया है. सरकार ने अब इसकी कीमतों को मॉनिटर करना शुरू कर दिया है. पिछले एक-दो महीने में दालों की कीमतों में जिस तरह का इजाफा हुआ है, उससे सरकार ने अब इसे नियंत्रित करने का फैसला किया है.
खुले मार्केट में सस्ते में बेचने की तैयारी
सरकार ने अब दालों की सस्ती दरों पर खुले बाजार में बेचने का फैसला किया है. पिछले एक सप्ताह तेजी से बढ़ी दालों की खुदरा कीमतों ने सरकार को चिंतित कर दिया है. पिछले एक पखवाड़े के दौरान अरहर की कीमत 100 रुपये से बढ़ कर 135 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दाल उत्पादक दक्षिण के राज्यों की वजह से दालों की सप्लाई पर असर पड़ा है, इससे भी कीमतें बढ़ रही हैं. अरहर दाल के दाम पिछले दो-तीन महीने पहले 85 से 95 रुपये तक चल रहे थे लेकिन अब ये बढ़ कर 135 रुपये तक पहुंच चुके हैं. मूंग और मसूर की कीमत भी बढ़ी हुई है. सिर्फ मटर दाल में राहत है.
अरहर समेत सभी दालों के दाम में तेजी
आढ़तियों का कहना है अरहर के दाम में बढ़ोतरी का असर दूसरी दालों पर भी पड़ सकता है. फिलहाल मूंग दाल 130 रुपये किलो, चना दाल 80 और उड़द दाल 150 रुपये किलो बिक रहे हैं. मसूर दाल 85 से 100 रुपये तक बिक रही है. चने की अच्छी फसल की वजह से इसके दाम काबू में हैं. हालांकि काला चना एक महीने पहले 60 रुपये किलो बिक रहा था जो अब बढ़कर 70 रुपये पहुंचा है. काबुली चना एक महीने पहले के 75 रुपये किलो से बढ़कर 90 रुपये तक पहुंच गया है.
जानकारों का कहना है कि कोरोना के चलते बड़ी तादाद में मजदूर गांव लौटे हैं और उन्होंने अरहर की जगह धान और मक्के की बुआई की है. रकबा घटने से भी अरहर के दाम तेज हुए हैं. इसमें आगे भी तेजी बनी रह सकती है.दूसरी ओर आढ़तियों का कहना है कि सरसों के तेल के दाम भी बढ़ने शुरू हो गए हैं. पिछले एक एक महीने में इसके दाम में 30 फीसदी तक उछाल आया है.
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