देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले सेक्टरों में से एक एमएसएमई के लिए सरकार एक और पैकेज जारी कर सकती है. सरकार सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों को सैलरी सपोर्ट के तौर पर एक लाख करोड़ रुपये दे सकती है. सरकार अगले तीन साल तक एक न्यूनतम कर्मचारी संख्या वाले एमएसएमई को सैलरी सपोर्ट करेगी. इसके तहत एमएसएमई यूनिट्स को एक फंड दिया जाएगा, जिससे वे अपने कर्मचारियों को सैलरी दे सकें. सरकार का कहना है कि एमएसएमई अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. कर्मचारियों को लगातार सैलरी मिलने से इकनॉमी में मांग पैदा होगी. यह स्थिति इकनॉमी को पटरी पर लाने में मददगार साबित हो सकती है.
अधिकारियों के मुताबिक सैलरी सपोर्ट के लिए एमएसएमई का चयन उनकी न्यूनतम कर्मचारी संख्या पर निर्भर करेगी. सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था. उस दौरान एमएसएमई सेक्टर के लिए तीन लाख करोड़ इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम लाया गया था.
1.2 लाख करोड़ रुपये एमएसएमई को दिए जा चुके हैं
पिछले सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम यानी ईसीएलजीएस के तहत 1.2 लाख करोड़ रुपये एमएसएमई को दिया जा चुका है. सरकार दिवालिया होने वाली एमएसएमई फर्मों को बचाने के लिए एक विशेष संकल्प योजना पर भी काम कर रही है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत इस योजना को अंतिम रूप दे रहा है. इसे जल्दी ही नोटिफाई किया जाएगा. नई योजना को आईबीसी की धारा 240ए के तहत नोटिफाई किया जाएगा.
इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने भारत के छोटे और मंझोले कारोबारियों यानी एमएसएमई सेक्टर में काम करने वाले कारोबारियों के लिए लगभग 5500 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था. इसके तहत एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों और कारोबारियों को लोन और दूसरे आर्थिक सहायता पैकेज दिए जाएंगे.एमएसएमई को मिलने वाला यह पैकेज भारत को 2019-20 में वर्ल्ड बैंक की ओर से दिए जाने वाले वित्तीय पैकेज का हिस्सा है. वर्ल्ड बैंक भारत को 5.13 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता देगा.