सरकार शहद में मिलावट का पता करने के लिए एक नया ट्रेसेबिलिटी सिस्टम बनाने जा रही है. इस सिस्टम में शहद उत्पादन की शुरुआत से लेकर आखिर तक रिकार्ड रखा जाएगा. इससे शहद के स्रोत का पता चल सकेगा. कृषि मंत्रालय के मुताबिक जल्द ही इस संबंध में पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया जाएगा.


हर स्तर पर मिलावट का पता लगाया जाएगा


कृषि मंत्रालय ने कहा कि सरकार एक ऐसा मैकेनिज्म डेवलप करना चाहती है, जिससे शहद में हर स्तर पर मिलावट का पता लगाया जा सके. इससे मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालने से लेकर तक पैकेजिंग तक हर स्तर पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था होगी. मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने वाले सर्वोच्च संगठन नेशनल बी बोर्ड (NBB)इस प्रोजेक्ट की नोडल बॉडी होगी. सरकार ने यह फैसला कुछ मशहूर ब्रांड के शहद में मिलावट के मामले सामने आने के बाद किया है. शहद में मिलावट के मामले सामने आने के बाद कई ब्रांड के शहद के बारे में उपभोक्ताओं के बीच अविश्वास की स्थिति देखी गई. वर्ष 2019-20 में देश में एक लाख बीस हजार टन शहद का उत्पादन हुआ था.


इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड सिस्टम डिजाइन किया जाएगा


इस प्रोजेक्ट के तहत इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड सिस्टम डिजाइन किया जाएगा ताकि प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग और डिस्ट्रीब्यूशन जैसे हर स्तर पर शहद की मॉनिटरिंग हो सके. नेशनल बी बोर्ड से दस हजार मधुमक्खी पालक, प्रोसेसर और ट्रेडर रजिस्टर्ड हैं. बोर्ड का कहना है देश में मिलावट रहित शहद की उपभोग हो इसके लिए निगरानी सिस्टम का दायरा बढ़ाया जाएगा. देश में कई जगहों पर शहद में मिलावट के मामले होते हैं लेकिन मॉनटरिंग का पुख्ता इंतजाम न होने से यह शहद मार्केट में आ जाता है. पर्याप्त मॉनिटरिंग और ट्रेसेबिलिटी सिस्टम न होने से यह पता करना मुश्किल होता है कि मिलावट किस लेवल पर हो रही है.


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