Masur Dal Price: अरहर के बाद मसूर दाल की कीमतों में उछाल पर सरकार की चेतावनी, नहीं की जाएगी जमाखोरी बर्दाश्त
Pulses Price Hike: त्योहारी सीजन के शुरू होने के साथ अरहर उरद के बाद मसूल दाल की कीमतों में उछाल आने लगी है जिसके बाद सरकार होर्डिंग करने वालों को सख्त चेतावनी दी है.
Masur Price Hike: अरहर दाल की कीमतों में तेज उछाल के बाद अब मसूर (Lentil) दाल की भी कीमतों में तेजी देखी जा रही है. विधानसभा और लोकसभा चुनाव के ठीक पहले मसूर दाल की कीमतों में तेज उछाल के बाद केंद्र सरकार हरकत में आ गई है. केंद्र सरकार ने सभी स्टोकहोल्डर्स के लिए मसूर दाल के स्टॉक का खुलासा करना जरुरी कर दिया है. व्यापारियों को हर शुक्रवार को वेबसाइट पर जाकर मसूर दाल के स्टॉक का खुलासा करना होगा. वहीं सरकार ने उपभोक्ताओं और देश के हितों के खिलाफ काम करने वालों को सख्त चेतावनी दी है.
बढ़ाया जाएगा मसूर दाल का बफर स्टॉक
खाद्य उपभोक्ता मंत्रालय ने कहा कि सभी स्टेकहोल्डर्स को https://fcainfoweb.nic.in/psp पर जाकर मसूर दाल के स्टॉक का खुलासा करना होगा. अगर बगैर डिस्क्लोजर वाले मसूर दाल का स्टॉक पाया गया कि इसे जमाखोरी माना जाएगा और आवश्यक वस्तु एक्ट के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कीमतों की समीक्षा के दौरान विभाग को मसूर दाल के बफर स्टॉक को बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. सरकार का लक्ष्य न्यूनत्तम समर्थन मुल्य (MSP) पर मसूर दाल की खरीदारी करना है.
सरकार की जमाखोरों को चेतावनी
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि कनाडा से जब मसूर दाल और अफ्रीका देशों से अरहर दाल का आयात बढ़ने जा रहा है. कुछ लोग उपभोक्ताओं और देश के हितों के खिलाफ बाजार को प्रभावित कर दालों की कीमतों को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार कड़ी नजर बनाए हुए है दालों के स्टॉक को बाजार में जारी करने के लिए सख्त कदम उठाएगी जिससे त्योहारी सीजन के दौरान उचित कीमतों पर उपभोक्ताओं को दाल उपलब्ध कराई जा सके. रोहित कुमार सिंह ने कहा कि किसानों और उपभोक्ताओं के हितों का ख्याल रखते हुए विभाग ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं हिचकेगी जो उपभोक्ताओं और किसानों के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं.
कार्टलाइजेशन का अंदेशा
दरअसल सरकारी एजेंसियां नेफेड और एनसीसीएफ ने आयातित मसूर दाल खरीदने के लिए टेंडर जारी किया था. लेकिन दोनों ही एजेंसियों को काफी ऊंची कीमत पर दाल सप्लाई करने के सप्लायर्स से टेंडर प्राप्त हुए. जिसके बाद नेफेड और एनसीसीएफ को आयातित मसूर दाल खरीदने के टेंडर को रद्द करना पड़ा जिसके बाद सरकार हरकत में आई है.
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