Cyber Frauds: साइबर फ्रॉड पर 100 दिन में कसी जाएगी नकेल, बनेगी नेशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी
Cyber Security Agency: केंद्र सरकार ने नेशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी और कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन को लाने की पूरी तैयारी कर ली है. नई सरकार का गठन होते ही इनका ऐलान कर दिया जाएगा.
Cyber Security Agency: इंटरनेट आने के बाद देश में डिजिटल क्रांति आई है. हालांकि, इस डिजिटल वर्ल्ड में सबसे बड़ा खतरा ऑनलाइन और मोबाइल फ्रॉड बन गए हैं. हर साल लाखों लोग साइबर हमले का शिकार बनते हैं और अपनी मेहनत से कमाई जमा पूंजी से हाथ धो बैठते हैं. मगर, अब केंद्र सरकार ने साइबर फ्रॉड पर नकेल कसने की पूरी तैयारी कर ली है. ऑनलाइन और मोबाइल फ्रॉड से निपटने के लिए भारत सरकार ने एक साथ कई मोर्चों से हमला बोलने की तैयारी की है. इसमें सरकार और निजी टेलीकॉम कंपनियां मिलकर काम करेंगी. कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) और नेशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी (NCSA) बनाने की पूरी तैयारी कर ली है, जो कि ऑनलाइन फ्रॉड से टक्कर लेंगी.
100 दिन के अंदर ही बन जाएंगे सीएनएपी और एनसीएसए
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि सीएनएपी (Calling Name Presentation) और एनसीएसए (National Cyber Security Agency) को अमली जामा पहनाने में केंद्र सरकार का पूरा सहयोग प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां भी करेंगी. यह दोनों काम नई सरकार बनने के 100 दिन के अंदर ही हो जाएंगे. साइबर सिक्योरिटी एजेंसी सभी तरह के डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए काम करेगी. यह कई विभागों के साथ मिलकर काम करेगी. यह साइबर हमलों और फ्रॉड को रोकने के लिए कई तरह की चीजें विकसित करेगी. इसका मुख्य उद्देश्य टेक्नोलॉजी की मदद से छोटे बिजनेस और आम आदमी को बचाना होगा.
कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन से फर्जी कॉल पर लगेगी रोक
उन्होंने कहा कि डिजिटल फ्रॉड का सबसे ज्यादा शिकार यही लोग होते हैं क्योंकि इनके पास तकनीकी सुरक्षा के साधन नहीं होते. इसके अलावा कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन को लागू करने में टेलीकॉम कंपनियां अहम भूमिका निभाएंगी. इस सिस्टम में कॉल करने वाले की पहचान बहुत आसान हो जाएगी. यहां कॉल करने वाले की पहचान उस नेटवर्क द्वारा की जाएगी, जहां से कॉल आई है.
ट्राई ने फरवरी में ही दे दिया है सुझाव
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने 23 फरवरी को ही इस बारे में सुझाव दिया था. इस सिस्टम के आने से फ्रॉड कॉल पर लगाम लग जाएगी. फर्जीवाड़ा करने वाले लोग यह दावा नहीं कर पाएंगे कि वह किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी, बैंक या कस्टम अधिकारी हैं. कॉल जिस नेटवर्क से होगी वह पहचान करके रिसीवर को भेज देगा. इससे कॉल रिसीव करने वाले को काफी सुविधा हो जाएगी.
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