सरकार को नोटबंदी से बड़ा मुनाफा होगाः सौम्यकांति घोष
नई दिल्लीः नोटबंदी से सरकार को कितना फायदा होगा ये एक बड़ा सवाल है. अब तक इस सवाल का सरकार की तरफ से जवाब नहीं आया है. लेकिन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ इकनॉमिस्ट सौम्यकांति घोष का अनुमान है कि सरकार को नोटबंदी से बड़ा मुनाफा हो सकता है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 10 दिसंबर के बाद से ये नहीं बताया कि नोटबंदी के बाद से कितने रद्द नोट बैंकों में जमा हो चुकै हैं. लेकिन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ इकॉनमिस्ट सौम्य कांति घोष ने इस बारे में कुछ अहम आकलन पेश किए हैं.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ इकॉनमिस्ट सौम्यकांति घोष के मुताबिक बैंकों में वापस आ चुके 500 और 1000 के रद्द नोटों का कुल मूल्य 14 लाख करोड़ से 14.5 लाख करोड़ के बीच हो सकता है. सर्कुलेशन में रहे रद्द नोटों का कुल मूल्य 15 लाख 44 हज़ार करोड़ है. इस हिसाब से करीब एक-डेढ़ लाख करोड़ रुपये मूल्य के पुराने नोट बैंकों में जमा नहीं हो पाएंगे. इस रकम को सरकार का मुनाफा माना जा सकता है.
सौम्यकांति घोष का ये भी अनुमान है कि करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये की रकम ऐसी है, जिस पर सरकार काला धन सफेद करने के आरोप में भारी टैक्स और जुर्माना लगा सकती है. इस टैक्स और जुर्माने से भी सरकार को अच्छी खासी कमाई होने की उम्मीद है. डॉ सौम्य कांति घोष का अनुमान है कि काले धन पर लगाए गए टैक्स और जुर्माने के रूप में सरकार को करीब 70 से 80 हज़ार करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है. वो ये भी मानते हैं कि ये आमदनी इससे कहीं ज्यादा भी हो सकती है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ इकॉनमिस्ट सौम्यकांति घोष का ये भी कहना है कि रिजर्व बैंक जिस रफ्तार से नोट छाप रहा है, अगर वो बनी रही तो देश में नोटों की किल्लत फरवरी के अंत तक काफी कम हो जाएगी. डॉ घोष के मुताबिक रिजर्व बैंक दिसंबर के अंत तक महज 44 फीसदी रद्द नोटों की भरपाई ही नए नोटों से कर पाया था, जो 53 फीसदी नोटों की भरपाई के उनके पिछले अनुमान से कम है. उनका आकलन है कि RBI जनवरी के अंत तक 75 फीसदी की जगह सिर्फ 67 फीसदी नोटों की भरपाई ही कर पाएगा.
लेकिन साथ ही डॉ घोष का ये भी मानना है कि अगर रिजर्व बैंक ने नए नोट छापने की मौजूदा रफ्तार बनाए रखी तो फरवरी के अंत तक 80 से 89 फीसदी रद्द नोटों की कमी पूरी कर ली जाएगी. जिससे हालात काफी हद तक सामान्य हो जाएंगे. डॉ घोष का मानना है कि अगर करेंसी की हालत उनकी उम्मीद के मुताबिक सुधर गई तो देश में नोटबंदी के कारण कम हुई जीडीपी बड़ी तेज़ी से वापस ऊपर जा पहुंचेगी. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अपने आकलन में कुछ खतरों से आगाह भी किया है.
एसबीआई के चीफ इकॉनमिस्ट डॉ घोष के मुताबिक नोटबंदी के कारण बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ यानी लिए जाने वाले कर्ज की रकम में एतिहासिक गिरावट आई है. 11 नवंबर से 23 दिसंबर 2016 के दौरान इसमें 5229 करोड़ की कमी आई है. ये गिरावट इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि इसी दौरान बैंकों के डिपॉजिट में करीब 4 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई.
इसका मतलब साफ है. बैंकों के पास फंड लबालब भरे हैं, लेकिन उनसे कर्ज लेने वाले कम हो गए हैं. ये हालात अर्थव्यवस्था की रफ्तार कम होने के संकेत देते हैं. लेकिन अच्छी बात ये है कि पिछले दिनों बैंकों ने ब्याज दरों में जिस तरह कटौती की है, उससे हालात में तेज़ी से सुधार हो सकता है.