शेयर बाजार में आई रैली से न सिर्फ निवेशकों की दौलत बढ़ रही है, बल्कि इससे सरकार का खजाना भी भर सकता है. एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि बाजार की रैली के बीच सरकार कुछ कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर आराम से 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जुटा सकती है और उसके लिए सरकार को अपना हिस्सा 51 फीसदी से कम भी नहीं करना पड़ेगा.
इस तरह से आएंगे 11.5 लाख करोड़
केयरएज की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार मौजूदा वैल्यूएशन पर कुछ सरकारी कंपनियों में 51 फीसदी के साथ बहुलांश हिस्सेदारी को बरकरार रखते हुए विनिवेश से 11.5 लाख करोड़ रुपये जुटा सकती है. उसमें सिर्फ सीपीएसई से लगभग 5 लाख करोड़ रुपये मिल सकते हैं, जबकि सरकारी बैंकों व बीमा कंपनियों में हिस्सेदारी कम करने से 6.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं.
इन सरकारी कंपनियों में ज्यादा गुंजाइश
रिपोर्ट में जिन कंपनियों में सरकार के द्वारा विनिवेश करने की सबसे बेहतर गुंजाइश बताई गई है, उनमें इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईआरएफसी), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, कोल इंडिया, ओएनजीसी आदि प्रमुख हैं. केयरएज का कहना है कि सरकार को 11.5 लाख करोड़ रुपये जुटाने में संबंधित सरकारी कंपनियों पर अपने नियंत्रण से भी समझौता नहीं करना पड़ेगा.
पिछले 10 साल में विनिवेश का आंकड़ा
यह रकम पिछले 10 साल में विनिवेश से जुटाई गई रकम के डबल से भी ज्यादा है. पिछले 10 साल में यानी 2014 से अब तक सरकार ने विनिवेश से 5.2 लाख करोड़ रुपये जुटाने में सफलता हासिल की है. विनिवेश के मोर्चे पर बीते कुछ साल सरकार के लिए ठीक नहीं रहे हैं. सरकार लगातार पांच सालों से विनिवेश के अपने लक्ष्य को पाने से चूक रही है.
अंतरिम बजट में विनिवेश का लक्ष्य
केयरएज की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसी महीने 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करने वाली हैं. इससे पहले फरवरी में सरकार ने 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश किया था, क्योंकि इस साल लोकसभा चुनाव प्रस्तावित थे. अंतरिम बजट में सरकार ने अलग से विनिवेश का जिक्र नहीं किया था. अंतरिम बजट में मिसलेनियस कैपिटल रिसीट कैटेगरी के तहत विनिवेश से 50 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था.
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