इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और स्मार्टफोन्स मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव ( PLI)के बाद सरकार अब फूड प्रोसेसिंग के लिए यह स्कीम लेकर आई है. कैबिनेट ने फूड प्रोसेसिंग में 10,900 करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम को मंजूरी दे दी है. सरकार का कहना है कि वह देश को ग्लोबल फूड मैन्यूफैक्चरिंग चैंपियन बनाना चाहती है. उसका इरादा ग्लोबल मार्केट में इंडियन फूड ब्रांड्स का विस्तार करना है. इस स्कीम के तहत रेडी टु इट फूड, प्रोसेस्ड फ्रूट्स, सब्जियां, मरीन प्रोडक्ट, मोजेरेला समेत 33,494 करोड़ रुपये के प्रोसेस्ड फूड उत्पादन का लक्ष्य रखा है. इससे 2026-27 तक ढाई लाख लोगों को नौकरियां मिलेंगीं.


एग्री-बेस्ड उद्योग को मिलेगी तरजीह


इसके तहत एग्री-बेस्ड उद्योग को तरजीह दी जाएगी और फ्री-रेंज अंडों, पॉल्ट्री मीट, अंडों के उत्पादन को शामिल किया जाएगा. उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय पीयूष गोयल ने कहा कि इस स्कीम से 30 से 35 हजार करोड़ रुपये के खाद्य उत्पादों का निर्यात हो सकता है लेकिन मेरा मानना है कि भारत सिर्फ प्रोसेस्ड फूड का एक लाख करोड़ रुपये तक निर्यात कर सकता है. पीएलआई स्कीम के तहत फूड प्रोसेसिंग में निवेश करने वाली कंपनियों को उनकी बिक्री बढ़ने पर इन्सेंटिव दिया जाएगा. यह स्कीम 2026-27 तक लागू होगी.


एसएमई को मिलेगी ज्यादा सहूलियत


स्कीम के तहत कंपनियों को अपनी बिक्री का एक न्यूनतम लक्ष्य तय करना होगा साथ ही एक न्यूनतम निवेश भी करना होगा. सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि इस स्कीम में सिर्फ बड़ी कंपनियों का ही दबदबा न रहे. वह पूरी कोशिश करेगी कि इसका लाभ सूक्ष्म, लघु और मझोले यानी एसएमई को भी मिले. उपभोक्ता और खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय जल्द ही इस स्कीम का वार्षिक प्लान बनाएंगे ताकि इसे अच्छी तरह से लागू किया जा सके. इससे कृषि सेक्टर में भी निवेश बढ़ेगा और रोजगार में भी इजाफा होगा.


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